जल सत्याग्रह में बुर्जुगों के साथ उतरे बच्चे
जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : सेमरा व शिवराय का पुरा गांव के अस्तित्व को बचाने क
जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद (गाजीपुर) : सेमरा व शिवराय का पुरा गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए ग्रामीण मन बना चुके हैं। आंदोलन के प्रथम चरण में जल सत्याग्रह के तीसरे दिन शनिवार को सेमरा गांव के पश्चिम किनारे में काफी संख्या में ग्रामीण जुटे। इसमें बुजुर्गों के साथ बच्चों ने भी भागीदारी की। गांव के वरिष्ठ अधिवक्ता मंगला यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह कर संकल्प को दोहराया कि जब तक गांव को बचाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई धरातल पर दिखाई नहीं देगा तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
करीब छह वर्ष पूर्व गंगा किनारे बसे सेमरा व शिवराय का पुरा गांव के ग्रामीण काफी खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रहे थे। उस समय वह यह सोचकर काफी खुश थे उन्होंने मां गंगा के किनारे जन्म लिया है। लोग गंगा का दर्शन करने के लिए तरसते हैं और उनकी आंख खुलने से बंद होने तक मां गंगा ही उनके सामने रहती हैं लेकिन 2012 व 13 में गंगा में आई विभिषिका ने उनके जीवन की नैया का पूरी तरह डावांडोल करके रख दिया। करीब 604 परिवार कटान के चलते पूरी तरह से बेघर हो गये। लोगों ने गंगा से गांव की रक्षा के लिए सपा सरकार की ओर से वर्ष 2014 में करीब 1560 मीटर लंबा बोल्डर पि¨चग कर ठोकर का निर्माण कराया गया। जब ठोकर का निर्माण कार्य चल रहा था तो उस समय मानक की अनदेखी को लेकर ग्रामीण आवाज उठाते रहे लेकिन निर्माण कार्य में लगे ठेकेदारों को सत्ता के प्रभावशाली लोगों का संरक्षण होने से ग्रामीणों की बातों को अनदेखी कर दिया गया। अगर ठोकर निर्माण की सही से जांच करा दी जाए तो यह बात खुलकर सामने आ जाएगी कि जिस मानक को केंद्रित कर इस ठोकर का निर्माण कराया जाना था उसका कहीं भी पालन नहीं हो सका। जांच में सफेदपोशों की भी पोल खुल जाएगी। जनप्रतिनिधियों पर जताया रोष
गांव के पश्चिम सिरे पर तीसरे दिन हुए जल सत्याग्रह में शामिल ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि गंगा से कटान का जब सिलसिला शुरू हुआ उसके पहले ही हम लोग समय समय पर पत्रक, बातचीत व आंदोलन के माध्यम से जनप्रतिनिधियों व प्रशासन शासन को अवगत कराते रहे। बावजूद सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया। आखिर में वर्ष 2012 व 13 में शिवरायकापुरा गांव का अस्तित्व करीब करीब समाप्ति के कगार पर पहुंच गया वहीं सेमरा का आधा हिस्सा समाप्त हो गया। जब आबादी बुरी तरह से प्रभावित हुई तो गांव को बचाने के लिए ठोकर निर्माण कराया गया। दो वर्ष पूर्व आई बाढ़ में ठोकर के साथ कुछ नये जगहों पर कटान भी हुआ। क्षतिग्रस्त ठोकर के मरम्मत को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी। चुनाव में काफी मजबूती से मतदान कर जनप्रतिनिधियों का चयन किया गया। सौभाग्य से जो जनप्रतिनिधि चुने गये उनकी केंद्र व प्रदेश में सरकार भी बनी लेकिन दुर्भाग्य है कि वह हमारा पक्ष रखने में पूरी तरह से कमजोर साबित हो रहे हैं। जब तक गांव को बचाने के लिए बनाये गये ठोकर के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत नहीं करायी जाएगी तब तक हम आंदोलन के माध्यम से अपनी बातें कहते हुए जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को आईना दिखाते रहेंगे। जल सत्याग्रह में अधिवक्ता मंगला ¨सह यादव, रामअवतार राय, शिवानंद यादव, सागर यादव, बूटन यादव, रामाधार यादव, हरिशंकर यादव, सरजू यादव, भानू यादव, संजय यादव, रमाकांत तिवारी, विधान चंद राय, झारखंडेय राय, बृजेश यादव, अभय गुप्ता, चंदन गुप्ता, संजय गुप्ता, शुभम राय, पीयूष राय, विनोद राम, सुरेश राम आदि शामिल थे।