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अकीदत से मना शब-ए-बरात का पर्व, मांगी दुआएं

गाजीपुर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने शनिवार को शब-ए-बारात पर्व इबादत और अकीदत के साथ मनाया। इस मौके पर शहर की मस्जिदों में तमाम रात मुस्लिमजनों ने खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों से तौबा की। वहीं पूरी रात नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सभी कब्रिस्तान गुलजार रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 05:18 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 05:18 PM (IST)
अकीदत से मना शब-ए-बरात का पर्व, मांगी दुआएं
अकीदत से मना शब-ए-बरात का पर्व, मांगी दुआएं

जासं, गाजीपुर : मुस्लिम धर्मावलंबियों ने शनिवार को शब-ए-बारात पर्व इबादत और अकीदत के साथ मनाया। इस मौके पर शहर की मस्जिदों में तमाम रात मुस्लिमजनों ने खुदा की इबादत कर अपने गुनाहों से तौबा की। पूरी रात नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सभी कब्रिस्तान गुलजार रहे। लोगों ने पूर्वजों की कब्र पर जाकर अपने पुरखों के मगफिरत की दुआएं की। उनकी कब्रों पर फातिहा पढ़ा गया। यह सिलसिला पूरी रात चलता रहा।

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सुबह से ही लोग इस पर्व की तैयारियों को पूरी करने में लगे थे। वहीं महिलाएं घरों की साफ-सफाई करने के बाद पकवान बनाने में व्यस्त थीं। तमाम मस्जिदों को सजाया गया था। लोगों ने अपने-अपने कब्रिस्तानों को भी झालर-बत्ती से सजाया था। शाम होते ही लोग मस्जिदों में इबादत के लिए जाने लगे। अल्लाह से अपनी गुनाहों की माफी मांगी और नेक रास्तों पर चलने की प्रार्थना की। देर रात से लोग अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए उनके कब्रिस्तानों पर गए और वहां अगरबत्ती व मोमबत्ती जलाकर उनकी मगफिरत की दुआएं मांगी। नगर के बड़ीबाग, विशेश्वरगंज, महुआबाग, बंशीबाजार, रौजा, टाउनहाल, नखास, लकड़ी का टाल आदि कब्रिस्तानों पर लोगों की भीड़ लगी रही। दूसरे दिन लोगों ने रोजा रखा और अल्लाह से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

----- हुआ महफिलों का आयोजन

: इसी रात शिया समुदाय के इमाम मेंहदी (अ.) का जन्म होने के कारण उनके लिए यह पर्व अधिक खास हो जाता है। शिया समुदाय ने तमाम इबादत के साथ अपने इमाम की पैदाइश पर जमकर जश्न मनाया। जगह-जगह महफिलों का आयोजन हुआ। नोनहरा क्षेत्र के हुसैनपुर गांव में खुर्शीद गाजीपुरी के इमामबाड़ा में महफिल का आयोजन हुआ जिसमें श्रद्धालुओं ने इमाम की जन्मतिथि पर एक-दूसरे को मुबारकबाद दी। साथ ही एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया गया।

-------- होती है विशेष इबादत

बारा : पूरे दिन तैयारी के बाद शाम होते ही बने पकवानों की नियाज-फातेहा की गई। इसके बाद रात को इबादतगारों से मस्जिदें गुलजार हो गईं। अहले सुन्नत मदरसा गौसिया बारा के प्रिसिपल मौलाना कलीमुद्दीन शम्सी ने बताया कि शब-ए-बरात की पूरी रात इबादत करनी चाहिए। कहा कि यह रात भी शब-ए-कद्र के रूप में जानी जाती है। इस रात जागकर कुरान की तिलावत से लेकर विशेष इबादत की जाती है। वहीं इस रात में बंदा अल्लाह से अपनी गुनाहों की तौबा करता है। बेशक अल्लाह बड़ा माफ करने वाला है।


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