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पुस्तकालयों में पुस्तकें कर रहीं अपने पाठक का इंतजार

गाजीपुर : समय के बदलाव के साथ पुस्तकों की न तो कद्र रही और न ही उसके कद्रदान रहे। नगर के पुस्तकालय में पड़ी सैकड़ों किताबें धूल फांक रही है। समय की कमी और बढ़ती व्यवस्तता ने भी लोगों का पुस्तकों के प्रति रुझान को काफी कम कर दिया है। अगर जायजा लिया जाए तो काफी हद तक इसके लिए पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन भी जिम्मेदार है। लोग घरों में बैठे ही अपने पसंद के लेखकों के लेख को आनलाइन ही खोल कर उसे पढ़ लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 05:41 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 05:41 PM (IST)
पुस्तकालयों में पुस्तकें कर रहीं अपने पाठक का इंतजार
पुस्तकालयों में पुस्तकें कर रहीं अपने पाठक का इंतजार

जागरण संवाददाता, गाजीपुर : समय के बदलाव के साथ पुस्तकों की न तो पहले की तरह कद्र रही और न अब उसके वैसे कद्रदान ही दिख रहे। नगर के पुस्तकालय में पड़ी सैकड़ों किताबें धूल फांक रही हैं। समय की कमी और बढ़ती व्यस्तता ने भी लोगों को पुस्तकों के प्रति उदासीन बना दिया है। काफी हद तक इसके लिए पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन भी जिम्मेदार है। लोग घरों में बैठे ही अपनी पसंद के लेखकों के लेखन को ऑनलाइन खोल कर पढ़ ले रहे हैं।

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नगर के विकास भवन स्थित पुस्तकालय में साहित्यिक एवं इतर विषयों की चार सौ पुस्तकें उपलब्ध हैं लेकिन यहां पहुंचने वाले पाठकों की संख्या काफी कम हो गई है। हाल यह है कि पुस्तकें यहां आलमारियों में पड़ी धूल फांक रही हैं। लोगों की आवक कम होने के कारण इस पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ। पुस्तकालय की देखरेख करने वाले अनिल कुमार ने बताया कि यहां आने वाले पाठकों की संख्या में काफी कमी आ गई है। फिलहाल रोजाना दस से बारह लोग ही आ पाते हैं। उधर, शैक्षणिक संस्थानों में स्थित पुस्तकालयों की स्थित भी बहुत अच्छी नहीं है। पीजी कॉलेज के शोध ग्रंथालय में हर तरह की करीब डेढ़ लाख पुस्तकें हैं। इसमें शोधार्थी, कॉलेज के नियमित छात्र एवं प्रोफेसर व लेक्चरर को ही आने की अनुमति है लेकिन पहुंचने वालों की संख्या काफी कम हो गई है। रोजाना एक-दो लोग ही आते हैं। लाइब्रेरी में आने वालों की कम होती संख्या को देखते हुए पुस्तकों की संख्या में वृद्धि नहीं हो पा रही है। लाइब्रेरी की शुरुआत हुई थी तो इसमें पुस्तकों की संख्या दो लाख से अधिक थी लेकिन अब यह घटकर डेढ़ लाख रह गई है। ---

डिजिटलाइजेशन का असर

इसके पीछे काफी हद तक पुस्तकों का डिजिटलाइजेशन जिम्मेदार है। लोग अब अपनी जरूरत के मुताबिक पुस्तकों का अध्ययन मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैब एवं कंप्यूटर के जरिये कर ले रहे हैं। समय की कमी के चलते अब लोगों का पढ़ने के प्रति रुझान काफी कम हुआ है। ---

कम हो रही पाठकों की तादाद

पीजी कॉलेज के शोध ग्रंथालय के प्रभारी एएस मिश्र ने बताया कि पाठकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। लाइब्रेरी में हर तरह की साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक पुस्तकें हैं लेकिन पाठक इक्का-दुक्का ही आते हैं। पुस्तकों का ई-वर्जन आने से पाठकों की संख्या में कमी आई है।


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