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संविधान का अध्ययन कर मौलिक कर्तव्यों के प्रति हों सचेत

जासं गाजीपुर घर में धार्मिक ग्रंथों के साथ संविधान की एक प्रति जरूर रखें व उसका अध्ययन करें जिससे आम जन अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति काफी सचेत होंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 12:15 AM (IST)
संविधान का अध्ययन कर मौलिक कर्तव्यों के प्रति हों सचेत
संविधान का अध्ययन कर मौलिक कर्तव्यों के प्रति हों सचेत

जासं, गाजीपुर : घर में धार्मिक ग्रंथों के साथ संविधान की भी एक प्रति जरूर रखें व उसका अध्ययन करें। इससे आमजन अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति सचेत होंगे। इससे निश्चित रूप से देश व समाज का विकास होगा। राजस्व कर्मियों द्वारा सफल प्रशासन का क्रियान्वयन न करने से भूमि संबंधी विवाद बढ़ रहे हैं, जिससे फौजदारी वाद की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। अगर कोई सार्वजनिक या लोकसंपत्ति जैसे. रास्ते व चौक वगैरह पर जबरदस्ती कब्जा व निर्माण करके सार्वजनिक उपभोग में अवरोध डालता है तो ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध धारा 133 के तहत एसडीएम कोर्ट में शिकायत आवेदन प्रस्तुत कर भूमि को मुक्त कराकर अवरोध समाप्त किया जा सकता है। यही नहीं वैवाहिक वादों की संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है। यह कहना है सिविल बार के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप देव सिंह का। वह दैनिक जागरण के प्रश्न-पहर में रविवार को फोन से पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। सबसे अधिक प्रश्न भूमि विवाद संबंधित आए।

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कुछ ऐसे आए सवाल, दिए जवाब

सवाल : चचेरे भाई ने धोखे से पिताजी से खेत की रजिस्ट्री अपने पत्नी के नाम करा लिया है, क्या करना पड़ेगा?

जवाब : आपके पिताजी सिविल कोर्ट में निरस्तीकरण के लिए वाद दाखिल कर सकते हैं।

सवाल : पुश्तैनी जमीन का फाट कराना है, कैसे होगा?

जवाब : एसडीएम न्यायालय में फाटबंदी का वाद दाखिल कर सकते हैं।

सवाल : दूसरा पक्ष फाटबंदी के लिए राजी नहीं हो रहा है, क्या करना पड़ेगा?

जवाब : सहखाता धारक व ग्राम सभा को पार्टी बनना कर दावा करें, फाटबंदी हो जाएगी।

सवाल : धोखे से अगर भूमि रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करा ली गई हो तो क्या वह निरस्त होगा? जवाब : जी हां, दीवानी न्यायालय को निरस्त करने का अधिकार है।

सवाल : अगर किसी दस्तावेज का पंजीकरण हो गया है तो क्या न्यायालय की शरण ली जा सकती है?

जवाब : हां, वाद दाखिल किया जा सकता है, न्यायालय ही सर्वोच्च संस्था है जिसका फैसला सर्वमान्य है।

सवाल : अपना मकान दान में देना चाहते हैं, क्या करना पड़ेगा?

जवाब : जहां प्रापर्टी है, वहां के सर्किल रेट से मालियत के हिसाब से छह प्रतिशत स्टांप लेकर दान किया जा सकता है।

सवाल : क्या दान करने वाले मकान के स्टांप पर विक्रय मूल्य लिखना जरूरी है?

जवाब : नहीं, दान में विक्रय मूल्य नहीं होता है।

सवाल : नगर पालिका स्थित मकान को दान करने में कितना का स्टांप लगेगा।

जवाब : नगर पालिका के लिए मालियत के हिसाब से आठ प्रतिशत का स्टांप लगेगा।

सवाल : न्यायालय में प्रतिवर्ष कितने नए वाद दाखिल हो रहे हैं?

जवाब : करीब एक हजार नए वाद औसतन एक वर्ष में भूमि संबंधित आ रहे हैं।

सवाल : क्या वैवाहिक वादों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है?

जवाब : हां, वैवाहिक वादों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है।

सवाल : क्या पैतृक कृषि भूमि परिवार के लोगों के अलावा दूसरों को रजिस्ट्री कर सकते हैं?

जवाब : अगर कृषि भूमि वर्ग-ए संक्रमणीय भूमिधर दर्ज है तो दूसरों को भी आप रजिस्ट्री सकते हैं।

सवाल : गांव के सार्वजनिक भूमि पर पहले से कब्जा है जो और बढ़ता जा रहा है, कैसे लगाम लगाई जा सकती है?

जवाब : एसडीएम से शिकायत करें। सार्वजनिक भूमि पर कब्जा का अधिकार किसी को नहीं है। सवाल: क्या पट्टा व लीज की भूमि पर मालिकाना हक होता है?

जवाब : नहीं, ऐसे भूमि पर मालिकाना हक नहीं होता है।

इन्होंने किए सवाल

- वीरेंद्र यादव- कासिमाबाद, अखिलेश राजभर- जखनियां, जगरनाथ सिंह- गोहदा, कैलाश त्रिपाठी- बवाड़े, सुनील कुमार भारती- खड़वाडीह, रमेश सिंह- जरगो, विनय कुमार यादव-हसनापुर, विजय कुमार- जंगीपुर, रामध्यान- कठवामोड़, श्याम बहादुर सिंह- मोलनापुर, दिनेश- नोनहरा, धीरज प्रजापति- करीमुद्दीनपुर, आशीष पाल बंगा- मेदनीचक नंबर एक, शंभू यादव- रूहीपुर।


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