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खलिहान में 200 क्विटल धान, खरीद का दो दिन शेष

जागरण संवाददाता लौवाडीह (गाजीपुर) क्षेत्र के करीमुद्दीनपुर क्रय केंद्र पर अधिकारियों की लापरवाही के चलते धान की खरीद नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 03:30 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 10:02 PM (IST)
खलिहान में 200 क्विटल धान, खरीद का दो दिन शेष

जागरण संवाददाता, लौवाडीह (गाजीपुर) : क्षेत्र के करीमुद्दीनपुर क्रय केंद्र पर अधिकारियों की लापरवाही के चलते धान खरीद नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने के बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। लगभग एक माह से धान क्रय केंद्र बंद है। धान खरीद की अंतिम तिथि 28 फरवरी है। अब केवल दो दिन ही शेष बचा है। केंद्र प्रभारी का सेलफोन दो सप्ताह से स्विच ऑफ है। ऐसे में अगर किसानों के धान की खरीद नहीं हुई तो वे बिचौलिए को देने के लिए विवश हो जाएंगे।

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क्रय केंद्र के प्रभारी देवीशरण गौतम कभी बोरा नहीं तो कभी जगह का अभाव बताकर टाल मटोल करते रहे। अब कह रहे हैं कि खरीददारी का पोर्टल एक सप्ताह से बंद है। लौवाहीह के किसान भगवती राय, कालिका राय, बृज नारायन राय, सत्य नारायन राय समेत अन्य का कहना है कि बैंक के ऋण जमा करने का भी दबाव है। इसकी शिकायत एसडीएम से की गई। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है। करीब 200 क्विटल धान खलिहान में पड़ा है। ऐसे में अगर बारिश हो गई तो काफी नुकसान हो जाएगा। 12 जनवरी को करीमुद्दीनपुर के केंद्र प्रभारी ने उनका कागज लिया और कहा कि एक सप्ताह के भीतर उनकी तौल हो जाएगी। इसके बाद उन्होंने क्रय केंद्र पर आना ही छोड़ दिया। उनका मोबाइल फोन दो सप्ताह से स्विच ऑफ है। क्रय केंद्र पर वह नहीं आते हैं। ऐसे में अब धान की बिक्री कैसे होगी, समझ में नहीं आ रहा है।

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मनमानी करते हैं केंद्र प्रभारी

बिचौलिये 1300 प्रति क्विटल की दर से धान मांग रहे हैं। ऐसे में काफी घाटा हो रहा है। पिछले माह इस क्रय केंद्र की काफी शिकायतें आ रहीं थीं। डीएम से शिकायत के बाद धान की तौल की गई। इसके बावजूद केंद्र प्रभारी के रवैये में बदलाव नहीं आया। दोबारा शिकायत के बाद क्रय केंद्र की जांच की गई और मामले को रफादफा कर दिया गया। लौवाडीह के किसान कालिका राय ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई है।

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केंद्र प्रभारी व मिलर करते हैं खेल

धरातल पर देखा जाए तो वास्तविक किसानों के धान की खरीददारी नहीं के बराबर हो पाती है। कोई न कोई बहाना करके क्रय केंद्र प्रभारी और मिलर इस प्रक्रिया को इतना जटिल बना देते हैं कि किसान अपना धान बिचौलियों को लगभग 400 से 500 रुपये कम में देने के लिए मजबूर हो जाता है। उसका वास्तविक लाभ किसानों को न मिलकर क्रय केंद्र प्रभारी और बिचौलिया उठा लेते हैं।


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