यादव सिंह का ठिकाना फिर बनी डासना जेल
सीबीआइ की टीम ने 48 घंटे के पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए आरोपित यादव सिंह को समयावधि पूरी होने से पहले ही सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : सीबीआइ की टीम ने 48 घंटे के पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिए आरोपित यादव सिंह को समयावधि पूरी होने से पहले ही सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया। टीम बृहस्पतिवार दोपहर ढाई बजे यादव सिंह को लेकर विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत में पहुंची। अदालत ने आरोपित यादव सिंह को 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर डासना जेल भेज दिया है। एक बार फिर डासना जेल यादव सिंह का ठिकाना बन गई है। तीन दिसंबर को जमानत मिलने पर यादव सिंह जेल से बाहर आया था, लेकिन अब नए मामले में एक बार फिर उसे जेल में रहना पड़ेगा।
सीबीआइ के वरिष्ठ लोक अभियोजक बीके सिंह ने बताया कि सीबीआइ की टीम ने सोमवार को कोर्ट परिसर से 29 निजी फर्माें को लाभ पहुंचाने के एक मामले में नोएडा टेंडर घोटाले के मुख्य आरोपित यादव सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआइ ने उसे मंगलवार को अदालत में पेश किया गया था। इसके बाद कोर्ट से सीबीआइ को उसका 48 घंटे का पुलिस कस्टडी रिमांड मिला था। रिमांड की अवधि बृहस्पतिवार शाम पांच बजे पूरी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही सीबीआइ की टीम उसे लेकर कोर्ट पहुंच गई। सूत्रों की मानें तो सीबीआइ की टीम ने दो दिन जमकर यादव सिंह से पूछताछ की है। उसने प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के बारे भी में भी सीबीआइ को जानकारी दी है। इसके अलावा सीबीआइ की टीम उसे लेकर नोएडा व दिल्ली के कई स्थानों पर गई, लेकिन इस दौरान सीबीआइ को कुछ हाथ नहीं लगा। हालांकि कई दस्तावेजों के बारे में यादव सिंह ने सीबीआइ को बताया है। इसके आधार पर अब सीबीआइ मामले की जांच कर रही है। सीबीआइ जांच पूरी करने के बाद इस मामले में जल्द ही चार्जशीट पेश कर सकती है।
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इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
सीबीआइ से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2007 से 2012 के बीच यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के तौर पर तैनात था। इस बीच उसने 29 निजी फर्माें को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर स्वीकृत किए थे। इनमें कई फर्म ऐसी थी, जोकि उसके परिवार के सदस्यों और दोस्त संजय गुप्ता और संजय शर्मा, जावेद के नाम रजिस्टर्ड थी। आरोप है कि यादव सिंह ने प्राधिकरण में रहते हुए सभी फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें गलत तरीके से टेंडर जारी किए थे। इससे सरकार को 79 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस मामले में सीबीआइ की दिल्ली ब्रांच ने हाईकोर्ट के आदेश पर 17 जनवरी 2018 को यादव सिंह, संजय शर्मा, संजय गुप्ता समेत सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।