शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा पर जो करेगा काम, उसी के पक्ष में होगा मतदान
जागरण संवाददाता मोदीनगर जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है सियासी पारा भी चढ़ रहा है। गांव और शहर की स्थिति जुदा दिख रही है। शहर की 26 कालोनियों में 46 हजार कामगार व उनके स्वजन मतदाता हैं। विधायक बनाने में देहात क्षेत्र की भूमिका भी निर्णायक होती है। ये फिलहाल बेसहारा पशुओं से परेशान हैं। इनका कहना है कि बिजली सड़क स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर जो प्रत्याशी काम करेगा उसके पक्ष में ही मतदान होगा।
जागरण संवाददाता, मोदीनगर: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, सियासी पारा भी चढ़ रहा है। गांव और शहर की स्थिति जुदा दिख रही है। शहर की 26 कालोनियों में 46 हजार कामगार व उनके स्वजन मतदाता हैं। विधायक बनाने में देहात क्षेत्र की भूमिका भी निर्णायक होती है। ये फिलहाल बेसहारा पशुओं से परेशान हैं। इनका कहना है कि बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, सुरक्षा को लेकर जो प्रत्याशी काम करेगा, उसके पक्ष में ही मतदान होगा।
बात अगर क्षेत्र के सारा गांव की करें, तो यहां की आबादी करीब सात हजार है। गांव में प्राथमिक स्कूल के अलावा विधायक के प्रयास से कन्या डिग्री कालेज भी बन रहा है। शहर के नजदीक इस गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र भी है। गांव के 90 फीसद लोग शिक्षित हैं। राजनीति में भी यहां के लोगों की अच्छी-खासी हैं। शनिवार शाम बूंदाबांदी बंद होने के बाद गांव में तालाब के किनारे चौपाल पर जयभगवान, ब्रजमोहन, भोलू उर्फ प्रवेश अलाव ताप रहे थे। यहां बातों-बातों में चुनाव की चर्चा शुरू हुई। गोविदपुरी से अपने घर जा रहे अरुण त्यागी ने लोगों को देखा तो वे भी कुछ देर के लिए ठहर गए। चुनावी चर्चा के दौरान ब्रजमोहन ने बेसहारा पशुओं से फसलों को रहे नुकसान को लेकर अधिकारियों को घेरा। सड़क, बिजली, स्वास्थ्य पर अधिकांश लोगों की एकराय दिखी। अश्विनी ने कहा कि गांव में डिग्री कालेज जैसी सौगात मिली, अब लड़कियों को बाहर जाना नहीं पड़ेगा। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
उधर, करीब साढ़े पांच बजे देवेंद्रपुरी के पूर्व सभासद ऋषिपाल त्यागी के यहां रोजाना की तरह तरूण कुमार, आनंद, वीरपाल, जगबीर आकर बैठ गए। ऋषिपाल ने बंद हुए उद्योगों पर अपना दर्द बयां किया। जब तक उनकी बात पूरी होती, तरूण ने बीच में ही कहा कि आज तक कामगारों को हिसाब नहीं दिया गया। न ही मकानों का मालिकाना हक मिला। विधायक बनाने में कामगारों, उनके परिवार व रिश्तेदारों की भी अहम भूमिका है। वीरपाल कहने लगे कि यह समस्या कोई नई नहीं है। फैक्ट्री बंद हुए तो तीन दशक हो गए। कितने विधायक आए और गए, लेकिन समस्या यथावत है। आनंद ने कहा कि वोट उसी को करेंगे, जो चिकित्सा, स्वास्थ्य, सुरक्षा पर काम करेगा। जनहित का जो काम करे, वही जनप्रतिनिधि और सरकार अच्छी है।
इसके बाद करीब 11 बजे फफराना रोड पर विपिन की डेयरी पर किरनपाल, सुरेश, संदीप, नयनपाल, रविद्रपाल चाय की चुस्की के साथ सर्दी की बात करते दिखे। किरनपाल ने चुनाव की चर्चा शुरू की। बात आगे बढ़ी, तो किसी ने भाजपा की तरफदारी की तो किसी ने गठबंधन को मजबूत बताया। इसी बीच रविद्रपाल बोले-भाई, इस बार कोई भी अनुमान लगाना कठिन हैं। इस बीच नयनपाल बोल पड़े, वोट विकास के नाम पर देना चाहिए। चिकित्सा और शिक्षा समाज की जरूरत है। जाति और दलगत राजनीति में पड़कर आने वाली पीढ़ी का भविष्य बिगाड़ना होगा। चर्चा लंबी चली। अंत में सुरेश ने यह कहते हुए बात खत्म की कि आज का युवा कुछ अलग सोचता है। वोट अपना है। जिसको मन करे, उसको दो।