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महिलाओं को आगे लाना है तो बदलनी होगी सोच : एरना सोलबर्ग

बेटियों और महिलाओं का सशक्तिकरण करना है तो सभी को अपनी सोच बदलनी होगी। यह सोच बदलने का काम सिर्फ शिक्षा से संभव है। शिक्षा लोगों को जागरूक बनाएगी और तभी लोग महिलाओं को पुरुषों के समान मानेंगे। महिलाओं के लिए सेनिटेशन एक महत्वपूर्ण विषय है। भारत जैसे देश की महिलाओं में सेनिटेशन के प्रति जागरूकता आने से उनका जीवन आसान हुआ है। ये बातें नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग ने सोमवार को गाजियाबाद के लोनी स्थित निठौरा गांव में कहीं। वे मॉडल के रूप में विकसित किए गए प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंचीं थीं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 09:51 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 09:51 PM (IST)
महिलाओं को आगे लाना है तो बदलनी होगी सोच : एरना सोलबर्ग
महिलाओं को आगे लाना है तो बदलनी होगी सोच : एरना सोलबर्ग

सौरभ पांडेय, लोनी (गाजियाबाद): बेटियों और महिलाओं को सशक्त बनाना है तो सभी को अपनी सोच बदलनी होगी। यह सिर्फ शिक्षा से संभव है। शिक्षा से समाज में जागरूकता आएगी और लोग महिलाओं व पुरुषों को समान मानेंगे। महिलाओं के लिए सेनिटेशन एक महत्वपूर्ण विषय है। भारत जैसे देश की महिलाओं में सेनिटेशन के प्रति जागरूकता आने से उनका जीवन आसान हुआ है। ये बातें सोमवार को नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग ने गाजियाबाद के लोनी स्थित निठौरा गांव में कहीं। वह मॉडल के रूप में विकसित प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंचीं थीं।

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प्रदेश सरकार ने निठौरा के विद्यालयों को मॉडल विद्यालय के रूप में विकसित किया है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) स्कूल के विकास के लिए तकनीकी सेवाएं दे रहा है। नार्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग और यूनिसेफ की भारतीय प्रतिनिधि डॉ. यासमीन अली हक ने सोमवार को निठौरा गांव के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का निरीक्षण किया।

भारतीय संस्कृति के अनुसार उनका तिलक लगाकर और ढोल बजाकर स्वागत हुआ। उन्होंने बच्चों के साथ बातचीत की और उन्हें पढ़ाया भी। शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। इस दौरान एरना सोलबर्ग ने कहा कि गाजियाबाद के एक गांव के छोटे से स्कूल की छात्राओं को इस तरह से प्रदर्शन करते देखकर वह बेहद खुश हैं। पूरे देश के लोग इससे प्रेरणा लें और बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि सेनिटेशन का मतलब सिर्फ शौचालय बनाने भर से नहीं है, बल्कि महिलाओं को माहवारी के दौरान सुविधा प्रदान करना भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्हें पता चला है कि माहवारी के चलते किशोरावस्था में परिजन छात्राओं को स्कूल नहीं भेजते। अब स्कूलों में शौचालय बनने से इसमें बदलाव आया है। अभी और बदलाव की आवश्यकता है। राजनीति में हुई भागीदारी तो देश मजबूत होगा: राजनीति व संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी तो देश मजबूत होगा क्योंकि जो महिलाएं घर चलाना जानती हैं, वे देश और अच्छी तरह से चला सकती हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ जैसे कार्यक्रमों की प्रशंसा की। साथ ही कहा कि राजनीति से अलग होकर इस तरह के कार्यक्रम चलने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को चाहिए कि हम दो हमारे दो के स्थान पर हम दो हमारी दो बेटियों का नारा दें। बेटियां किसी भी स्तर पर बेटों से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि महिला अपराध सिर्फ भारत में ही नहीं नॉर्वे और अन्य देशों में भी है। सभी देशों को महिला अपराध के प्रति नजरिया बदलने और कोर्ट सिस्टम तक को बदलने की जरूरत है। स्कूल सुपरविजन के लिए बनाए ईक्षा एप की ली जानकारी

इस दौरान एरना सोलबर्ग ने स्कूली बच्चों की पढ़ाई और उपस्थिति आदि की जांच के लिए बनाए एप ईक्षा की भी जानकारी ली। यूनिसेफ की टीम ने उन्हें ईक्षा के बारे में बताया। साथ ही किस तरह से एप के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बच्चों की उपस्थिति, ड्रॉप आउट बच्चों को स्कूल लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, इसकी जानकारी मिल सकेगी।


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