भीख मंगवाने वाले गैंग ने स्टेशन पर दो दिन तक मासूम को जहरीला नशा कराया
ट्रेन में स्वजनों से पिछड़ा मासूम को दो दिन में भीख मंगवाने वाले गैंग ने भोजन खिलाने का लालच देकर उसे सूखा नशे का आदी बना दिया। दो दिन तक रेलवे स्टेशन पर लगातार बच्चे को नशा कराया गया। जीआरपी और आरपीएफ को इसकी भनक नहीं लग सकी। बच्चों को रेस्क्यू करने वाला एनजीओ के सदस्यों ने बच्चे की सुध नहीं ली। सोमवार को स्वजन बेटे की तलाश करते हुए गाजियाबाद स्टेशन पर पहुंचे और बच्चे को साथ ले गए। बच्चे के हालत देख स्वजनों ने बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ को खूब कोसा
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : ट्रेन में स्वजनों से बिछड़े मासूम को दो दिन में भीख मंगवाने वाले गैंग ने भोजन खिलाने का लालच देकर सूखे नशे का आदी बना दिया। जीआरपी और आरपीएफ को इसकी भनक नहीं लग सकी। बच्चों को रेस्क्यू करने वाली एनजीओ के सदस्यों ने बच्चे की सुध नहीं ली। सोमवार को स्वजन बेटे की तलाश करते हुए गाजियाबाद स्टेशन पर पहुंचे और बच्चे को साथ ले गए। बच्चे की हालत देख स्वजनों ने बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ को खूब कोसा।
अलीगढ़ के पटवारी नंगला निवासी युवक नोएडा की एक निजी गारमेंट कंपनी में प्रबंधक हैं। वह 25 जनवरी दिन शनिवार को अलीगढ़ से परिवार के साथ ट्रेन में दिल्ली आ रहे थे। अलीगढ़ में ही ट्रेन में बैठते वक्त उनका छह वर्षीय बेटा गुम हो गया। काफी तलाश करने के बाद भी बेटा नहीं मिला। उन्होंने गाजियाबाद से लेकर अलीगढ़ समेत अन्य रेलवे स्टेशनों पर उसकी तलाश जारी रखी। सोमवार को स्वजन फिर से बेटे की तलाश करते हुए गाजियाबाद स्टेशन पहुंचे। सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे बच्चे की खोजबीन की। इस दौरान उन्हें प्लेटफार्म नंबर पांच बेटा मिल गया। प्रबंधक ने बताया कि उनका बेटा नशे की हालत में था। उसके पास टायर में पंक्चर लगाने वाली ट्यूब मिली। इसे सूंघकर वह नशा कर रहा था। यह देखकर वह हैरान रह गए। उन्होंने आस-पास के लोगों से उसके बारे में पता किया। स्टेशन पर कुछ लोगों ने बताया कि कुछ लोग उसे नशा कराना सिखा रहे थे। इस गैंग के सदस्य नशे की लत लगाकर बच्चों से भीख मंगवाते हैं। मैनेजर ने इसकी सूचना जीआरपी को दी। मगर जीआरपी ने इसे आरपीएफ से जुड़ा मामला बताकर कार्रवाई नहीं की। इसके बाद बिना कार्रवाई के ही वह बच्चे के साथ घर लौट गए।
एनजीओ पर लगाया आरोप
स्वजनों ने आरोप लगाया कि स्टेशन पर एनजीओ केवल पैसे के लिए काम कर रहे हैं। ड्यूटी पूरी करने के लिए वह 15 से 18 साल के किशोरों को रेस्क्यू करते हैं। जबकि, बहुत कम संख्या गुम हुए बच्चों को रेस्क्यू करते हैं।
आरपीएफ से जानकारी करने पर मालूम हुआ है कि चार-पांच साल के बच्चे को उसके स्वजन लेकर गए हैं। इस मामले में बच्चे के स्वजनों की तरफ से कोई शिकायत दी जाती है तो कार्रवाई की जाएगी।
-अशोक सिसौदिया, थाना प्रभारी, जीआरपी