यह गर्मी जानलेवा नहीं जीवन बचाने वाली है : डॉ. विमल कुमार
यूं तो हर साल मई-जून की तपती धूप हर किसी को परेशान करती है लेकिन इस बार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच तापमान में अचानक तेजी आना कई मायनों में लाभादायक समझा जा रहा है। कोरोना वायरस यदि कहीं बाहर पड़ा है यानि सड़क पर थूक के जरिए दुकान में सामानों पर और सब्जी मंडी में तो वह इस तेज गर्मी में ज्यादा देर तक जिदा नहीं रह सकेगा। कहीं तीन मिनट तो कहीं दस मिनट में मर जाएगा। पॉजिटिव व्यक्ति के शरीर में भी गर्मी के चलते वह जल्दी ही खत्म हो जाएगा। चूंकि कोरोना सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है
यूं तो हर साल मई-जून की तपती धूप हर किसी को परेशान करती है लेकिन इस बार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच तापमान में अचानक तेजी आना कई मायनों में लाभदायक समझा जा रहा है। कोरोना वायरस यदि कहीं बाहर पड़ा है जैसे सड़क पर थूक के जरिये, दुकान में सामानों पर और सब्जी मंडी में तो वह इस तेज गर्मी में ज्यादा देर तक जिदा नहीं रह सकेगा। कहीं तीन मिनट तो कहीं दस मिनट में मर जाएगा। गर्मी बढ़ने से पॉजिटिव व्यक्ति की जान को खतरा भी कम होगा। कुछ इन्हीं सवालों को लेकर दैनिक जागरण के मदन पांचाल ने डेढ़ महीने में डेढ़ सौ कोरोना मरीज का इलाज करने वाले ईएसआइ राजेंद्र नगर कोविड-1 के प्रभारी डॉ. विमल कुमार से बातचीत की। प्रस्तुत है कुछ अंश।
सवाल - अचानक तापमान में वृद्धि हो रही है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है। इसका कोरोना पर क्या फर्क पड़ेगा।
जवाब- तापमान बढ़ना और गर्मी पड़ना आम बात है लेकिन कोरोना महामारी के बीच मई के अंत में गर्मी का चरम पर पहुंचना अच्छा संकेत है। गर्मी बढ़ने से कोरोना वायरस का अधिक समय तक जिदा रहना मुश्किल होगा। खासकर सड़क पर, दुकान पर, सब्जी मंडी में, बैंक के दरवाजों पर, एटीएम के गेट पर और सरकारी कार्यालयों में आने-जाने वाले लोगों के लिए यह शुभ संकेत है कि जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे ही वायरस का खात्मा आसान होगा। खुले में यह वायरस गर्मी की वजह से केवल तीन मिनट में मर जाएगा। इससे चेन आगे नहीं बढ़ेगी। यह गर्मी जानलेवा नहीं, जान बचाने वाली है। सवाल - गर्मी बढ़ने से पॉजिटिव केस बढ़ने और कम होने को लेकर क्या संभावनाएं हैं?
जवाब - केस बढ़ने और घटने पर गर्मी बढ़ने का कोई असर पड़ने वाला नहीं है। केवल गर्मी बढ़ने से सांस, निमोनिया, अस्थमा, कैंसर पीड़ित और अन्य रोगियों के संक्रमित होने पर खतरा कम हो गया है। कोरोना वायरस गले के जरिये सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है। पहले से ही सांस एवं अस्थमा रोगी व्यक्ति यदि पॉजिटिव होता है तो वायरस के असर को कम करने के लिए जंग कर सकता है, जबकि सर्दियों में पहले से ही ऐसे रोगियों की हालत खराब रहती है। ऊपर से संक्रमित हो तो जान का खतरा बढ़ा रहता है। गर्मी में ऐसे लोग काफी हद तक सुरक्षित हैं। स्वस्थ होने के लिए भी गर्मी का बढ़ना अच्छा है।
सवाल - जिले में अब तक स्वस्थ होने वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों में क्या-क्या लक्षण देखने को मिले हैं?
जवाब - 16 अप्रैल से कोरोना मरीजों का उपचार करते हुए अब तक डेढ़ सौ को ठीक किया गया है। युवा, बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी अस्पताल में आईं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता जिनकी मजबूत थी वे बहुत जल्दी पॉजिटिव से नेगेटिव होकर घर चले गए। अधिकांश मरीजों में कोई लक्षण नहीं पाए गए। किसी को भी बुखार, जुकाम, छींक जैसी शिकायत नहीं पाई गई। एक- दो मरीजों को अस्पताल में आने के दो दिन बाद बुखार हुआ तो दवा देते ही वह उतर गया। किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं मिलने पर समझा जा सकता है कि जिले में कोरोना बहुत प्रभावी नहीं हैं। खान-पान और व्यायाम से शरीर को फिट रखने पर वायरस जल्दी भाग जाता है। तीन दिन से गर्मी बढ़ने पर मरीजों को पेय पदार्थ बढ़ा दिए गए हैं।
सवाल- लॉकडाउन-4 में गर्मी बढ़ने से मरीजों का आंकड़ा कम होगा है या बढ़ेगा?
जवाब- गर्मी बढ़ने से दो लाभ होंगे। मई के बचे दिन और जून का पूरा महीना गर्मी बढ़ने की वजह से कोरोना का चेन ब्रेक होगा। बेशक बाजार एवं उद्योग खुले हों लेकिन पैंतालीस डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर तापमान बढ़ेगा तो लोग दिन में घरों बाहर बहुत कम ही निकलेंगे। इससे कोरोना का फैलाव रुकेगा। शाम को सात बजे से सुबह सात बजे तक घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी है ही। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों की संख्या बढ़ने का अनुमान कम ही है।
सवाल- कोरोना से बचने और इसको हराने के लिए क्या करना होगा?
जवाब- कोरोना एक सामान्य बुखार जैसी बीमारी हैं लेकिन दवा ईजाद न होने की वजह से महामारी घोषित की गई है। वायरस से पहले इसका डर दिमाग में जा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि कोरोना मरीजों के मिलने पर उससे डरने की बजाय सावधानी बरतते हुए मदद करनी चाहिए। परिवार का पूरा सहयोग करना चाहिए। बीमार से लड़ने की बजाय बीमारी से लड़ना जरूरी है। हाथ धोना, मास्क लगाना, शारीरिक दूरी अपनाना और सैनिटाइजर लेकर बाहर निकलना आदत में शामिल करना होगा। बुखार, खांसी, जुकाम और छींक आने पर जांच अवश्य कराएं। हराने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का भरपूर सेवन करें। जीवन परिचय
डॉ. विमल कुमार
पत्नी का नाम- डॉ. रिचा गुप्ता
बेटे का नाम- वैभव यादव
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट अमरनाथ दिव्य आश्रम सीनियर सैंकेंडरी पब्लिक स्कूल मथुरा से
एमबीबीएस- राजकीय मेडिकल कॉलेज नागपुर से 2003 में पूर्ण की
- छह साल तक दिल्ली के कई निजी अस्पतालों में नौकरी की
- साल 2009 में ईएसआइसी में नौकरी लग गई
- सितम्बर 2019 से राजेंद्र नगर में बतौर प्रभारी तैनात हैं
- वर्तमान में कोविड-1 अस्पताल में कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे हैं।