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ऑप्युलेंट मॉल में सीमित वक्त के लिए किराया होगा कम

शॉपिग मॉल में रिटेल स्टोर डिपार्टमेंटल स्टोर और मल्टीप्लेक्स के किराए को सीमित वक्त के लिए कम किया जा सकता है। मेंटेनेंस और बिजली की दरों में भी छूट मिल सकती है। मॉल मालिक स्टोर और मल्टीप्लेक्स संचालकों को मुश्किल वक्त में सहारा देने के लिए नई नीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया है कि किराए की नई नीति कुछ भी बने रेवेन्यू शेयरिग की पॉलिसी बरकरार रहेगी। ताकि स्टोर की आय होने पर उन्हें भी फायदा मिले।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 08:38 PM (IST)
ऑप्युलेंट मॉल में सीमित वक्त के लिए किराया होगा कम

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शॉपिग मॉल में रिटेल स्टोर, डिपार्टमेंटल स्टोर और मल्टीप्लेक्स के किराए को सीमित वक्त के लिए कम किया जा सकता है। मेंटेनेंस और बिजली की दरों में भी छूट मिल सकती है। मॉल मालिक स्टोर और मल्टीप्लेक्स संचालकों को मुश्किल वक्त में सहारा देने के लिए नई नीति तैयार कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया है कि किराए की नई नीति कुछ भी बने, रेवेन्यू शेयरिग की पॉलिसी बरकरार रहेगी। ताकि स्टोर की आय होने पर उन्हें भी फायदा मिले।

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जीटी रोड चौधरी मोड़ स्थित एसवीपी ग्रुप का ऑप्युलेंट मॉल है। इसमें छह बड़े स्टोर हैं। 25 मध्यम और छोटे स्टोर हैं। एक मल्टीप्लेक्स है। इनका किराया एक लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच है। एसवीपी ग्रुप के सीईओ सुनील जिदल ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन से सभी को परेशानी हुई है। इस परिस्थिति से अकेले नहीं उबरा जा सकता। यही वजह रही कि मॉल के स्टोर और मल्टीप्लेक्स संचालकों पर किराए के लिए किसी तरह का प्रेशर नहीं दिया गया। बल्कि, संचालकों को राहत देने के लिए ग्रुप स्तर पर नीति तैयार की जा रही है। जिसमें सीमित समय किराया कम करने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन अवधि का किराया घटाकर 50 से 60 प्रतिशत तक लिया जा सकता है। मॉल खुलने की इजाजत मिलने पर किराया निर्धारित से घटाकर 70 से 75 प्रतिशत किया जा सकता है। सुनील जिदल का कहना है कि पूर्ण किराया माफ करना संभव नहीं। मॉल में नियुक्त कर्मचारियों के वेतन, रखरखाव और बिजली का बिल अदा करने के लिए किराया लेना जरूरी है। वहीं आरडीसी स्थित गौड़ मॉल में स्टोर और मल्टीप्लेक्स का किराया कम नहीं होगा। मॉल संचालन करने वाली कंपनी गौड़ ग्रुप के एमडी मनोज गौड़ ने बताया कि यह मॉल बैंक फंडिड प्रोजेक्ट है। जिस तरह के बेनिफिट बैंक से मिलते रहेंगे। उनका लाभ स्टोर संचालकों तक पहुंचाया जाएगा। यह जरूर है कि मेंटेनेंस और बिजली के बिल में कुछ रियायत दी जा सकती हैं, जो विचाराधीन है। किराया भुगतान की पद्धति में भी फेरबदल किया जा सकता है। पद्धति को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। उनके आने पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

यह होती है किराये की पॉलिसी

मॉल में न्यूनतम गारंटेड किराया पॉलिसी अपनाई जाती है। इसके तहत स्टोर और मल्टीप्लेक्स संचालक के साथ करार करते वक्त न्यूनतम किराया तय किया जाता है। किराया करार में रेवेन्यू शेयरिग तीन से पांच प्रतिशत भी निर्धारित होता है। शर्त होती है कि रेवेन्यू शेयर और न्यूनतम किराए में से जो अधिक होगा, किराया रूप में उसे ही लिया जाएगा। ऑप्युलेंट मॉल के स्टोर और मल्टीप्लेक्स संचालकों के लिए किराया कम करने की नीति बना रहे हैं। मुझे लगता है उससे संचालकों को राहत मिलेगी। वह जल्द व्यवसाय को दोबारा पटरी पर ले आएंगे।

- सुनील जिदल, सीईओ, एसवीपी ग्रुप

लॉकडाउन में भी मॉल का एसी चला है। सुरक्षा व्यवस्था रही है। उस अवस्था में मॉल को रखा गया कि इजाजत मिलते ही उसे खोला जा सके। किराया माफ नहीं होगा, लेकिन कुछ रियायतें जरूर दी जाएंगी।

- मनोज गौड़, एमडी, गौड़ ग्रुप


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