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ऋण स्वीकृत होने के बाद भी नहीं बंटे, प्रगति रिपोर्ट पर सवाल

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By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 08:39 PM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:39 PM (IST)
ऋण स्वीकृत होने के बाद भी नहीं बंटे, प्रगति रिपोर्ट पर सवाल

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जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : युवा व बेरोजगारों को स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार योजनाएं संचालित कर रही है। ऋण के आवेदन स्वीकृत होने के बावजूद बैंक आवेदकों को ऋण मुहैया नहीं करा रहे हैं। यही वजह है कि जनपद में रोजगार योजनाएं अधर में हैं। जिला प्रशासन ने बैंकों की हीलाहवाली व प्रगति रिपोर्ट में सकारात्मक बदलाव न होने पर केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह को पत्र लिखा है।

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए लाभार्थियों को केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ दिया जाता है। केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं में आवेदन कराए हैं। इनको ऋण मुहैया कराने के लिए संबंधित बैंक शाखाओं को भेजा गया, लेकिन स्वीकृत होने के बावजूद ऋण देने के बजाए बैंक शाखाएं ढिलाई बरतती नजर आ रही हैं। पिछली कुछ समीक्षा बैठकों में लंबित आवेदनों को लेकर डीएम भी बैंकों को सख्त निर्देश जारी कर चुके। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, एक जनपद एक उत्पाद वित्त पोषण योजना और मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना में बैंकों की ओर से सुस्ती नजर आई है। बैंकों से वित्तीय लक्ष्य पूरा नहीं किया जा रहा है और लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ी है। योजनाओं पर एक नजर..

केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के तहत उद्योग लगाने के लिए 25 लाख और सेवा क्षेत्र में निवेश करने के लिए 10 लाख रुपये के ऋण मिलते हैं। जिला उद्योग केंद्र द्वारा विभिन्न बैंकों को 466 आवेदन में 67 स्वीकृत हुए, 32 को योजना के तहत ऋण मिला। अभी लंबित आवेदनों की संख्या 120 व बाकी निरस्त किए गए हैं।

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जिले के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने एक जनपद एक उत्पाद वित्त पोषण योजना में ओडीओपी के तहत शुरू की। वित्तीय वर्ष में तीन करोड़ रुपये से ओडीओपी को बढ़ाने की सरकार की मंशा थी, लेकिन बैंकों ने 147 आवेदन में 37 स्वीकृत कर 21 को ऋण बांटा, जबकि 35 आवेदन लंबित व बाकी निरस्त किए गए। मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को 25 व सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये तक ऋण दिए जाते हैं। सरकार की ओर से कुल लागत राशि का 25 फीसद की मार्जिन मनी सब्सिडी दी जाती है। बैंकों को 268 आवेदन में 63 स्वीकृत हुए, 33 को ऋण बांटा व 63 आवेदन लंबित हैं। बाकी आवेदन खामियों के चलते निरस्त कर दिए गए हैं। कई प्रयासों के बावजूद हालात जस के तस

जिला प्रशासन की ओर से कई बार समीक्षा बैठक के बावजूद सरकारी योजनाओं में प्रगति न होने पाने पर बैंकर्स से जवाब मांगा गया, लेकिन हालात नहीं सुधरे। इस मामले में डीएम अजय शंकर पांडेय की ओर से केंद्रीय राज्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद वीके सिंह को पत्र लिखकर योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट व बैंकों की हीलाहवाली से अवगत कराया गया है।


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