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घटिया क्वालिटी की पीपीई किट बनी बड़ा खतरा

कोरोना काल में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) किट की जैसे ही मांग पैदा हुई अचानक तमाम कंपनियां गाजियाबाद में भी पीपीई किट बनाने लगीं। ज्यादातर ने क्वालिटी का जरा भी ख्याल नहीं रखा। लोनी और मुरादनगर के स्वास्थ्य कर्मियों को जो पीपीई किट दी गईं वह कटी-फटी थीं। घटिया पीपीई किट की देन है कि मरीजों का इलाज करते हुए एक दर्जन सरकारी चिकित्सक निजी चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना कोरोना की चपेट में आ गए। इन घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर पीपीई किट खरीद पर रोक लगा दी है। अब शासन से ही पीपीई किट की सप्लाई यहां होगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 06:05 AM (IST)
घटिया क्वालिटी की पीपीई किट बनी बड़ा खतरा
घटिया क्वालिटी की पीपीई किट बनी बड़ा खतरा

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कोरोना काल में पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) किट की जैसे ही मांग पैदा हुई, अचानक तमाम कंपनियां गाजियाबाद में भी पीपीई किट बनाने लगीं। ज्यादातर ने क्वालिटी का जरा भी ख्याल नहीं रखा। लोनी और मुरादनगर के स्वास्थ्य कर्मियों को जो पीपीई किट दी गईं, वह कटी-फटी थीं। घटिया पीपीई किट की देन है कि मरीजों का इलाज करते हुए एक दर्जन सरकारी चिकित्सक, निजी चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ कोरोना कोरोना की चपेट में आ गए। इन घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर पीपीई किट खरीद पर रोक लगा दी है। अब शासन से ही पीपीई किट की सप्लाई यहां होगी।

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कोरोना के इस दौर में अनेक लोगों ने अपने पुराने काम छोड़कर पीपीई किट निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। मार्च में जहां पीपीई किट के निर्माताओं की तलाश की जा रही थी, वहीं 22 मई तक जिले में 15 कंपनियां पीपीई किट निर्माण कर रही हैं। पीपीई किट बनाने वाली कंपनियों में अधिकांश अप्रशिक्षित कर्मचारी काम कर रहे हैं। कर्मचारी बिना ग्लव्ज और मास्क पहने कंपनियों में यह किट बना रहे हैं। जिले की एक कंपनी ने पीपीई किट बनाने की अपनी प्रक्रिया को यू-ट्यूब पर डाला है।

नियम है कि तैयार होने के बाद पीपीई किट को डिसइन्फेक्ट करना जरूरी होता है। इस कंपनी की वीडियो से जाहिर हुआ कि डिसइन्फेक्ट करने की प्रक्रिया को अपनाया ही नहीं जा रहा। लाभ कमाने के लिए घटिया किस्म के चश्मे, ग्लब्ज, शू कवर और डिस्पोजल बैग का उपयोग किया जा रहा है। साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिट्रा) एप्रूव्ड ज्यादातर पीपीई किट की कीमत करीब 1100 रुपए है। सीएमओ के मुताबिक कई सप्लायर इसे सात सौ रुपये में देने को तैयार हैं। हालांकि अब स्थानीय स्तर पर खरीदारी नहीं हो रही है।

स्टाफ के लिए भेजी कटी-फटी किट

कटी-फटी 15 पीपीई किट लोनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी और स्टाफ के लिए भेजी गई थी। बीस पीपीई किट कोविड-1 मुरादनगर में कार्यरत स्टाफ को भेजी गई। इस किट की भी यही स्थिति थी। सीएमओ एनके गुप्ता ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि किसी संस्था द्वारा उक्त पीपीई किट दान में दी गई थीं। सभी को नष्ट करवा दिया गया था।

आधा दर्जन स्वास्थ्य कर्मी हुए संक्रमित

पीपीई किट पहनकर मरीजों का इलाज करने के बावजूद जिले के सरकारी और गैरसरकारी अस्पतालों के 12 डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हो चुके हैं। सीएमओ एनके गुप्ता के मुताबिक संभव है घटिया किट के कारण ऐसा हुआ हो। इसी तरह संयुक्त जिला अस्पताल में पिछले ढाई महीने में 7 बार चश्मा टूटने की घटना हो चुकी है। रोज बीस पीपीई किट का उपयोग हो रहा है। अभी तक सुरक्षित पीपीई किट ही अस्पताल में आ रही है। लेकिन कई जगह किट पहनने के बावजूद मेडिकल स्टाफ कोरोना संक्रमित हो गए। इसलिए पहनने से पहले पूरी किट की जांच लेते हैं।

- डॉ. अमित कुमार, ईएसआई कोविड अस्पताल राजेंद्र नगर शुरू में छोटे साइज की और खराब पीपीई किट दी जा रही थीं। शिकायत करने पर सही गुणवत्ता वाली पीपीई किट दी जा रही हैं। सैंपल एकत्र करने के बाद पीपीई किट को डिस्पोजल बैग में रखकर एमएमजी अस्पताल लाकर बायोवेस्ट में डाल दिया जाता है। जहां से अधिकृत कंपनी सिनर्जी के लोग मेरठ ले जाते हैं। लेकिन कई मेडिकल स्टाफ के कोरोना पॉजिटिव होने से किट पर पूरा भरोसा नहीं है।

- संजय कुमार, लैब टेक्निशियन, आइएमएस बूथ पीपीई किट की आपूर्ति को लेकर अब पूरी सतर्कता बरती जा रही है। अप्रैल माह में 3300 पीपीई किट खरीदी गईं थी। इनकी टेस्टिग कराई गई थी। अब शासन स्तर से पीपीई किट खरीद पर रोक लगा दी गई है। अभी तक 3744 किट का उपयोग हो चुका है। 8915 उपलब्ध है। इनमें से सात हजार डोनेट की गईं हैं। अब सिट्रा और डीआरडीओ द्वारा सत्यापित पीपीई किट का ही उपयोग किया जा रहा है।

- डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ।


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