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शांति समिति की मीटिग के बहाने पार्षद की हुई थी गिरफ्तारी

आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद छह बार से लगातार पार्षद अनिल स्वामी को राम मंदिर आंदोलन के दौरा

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 06:42 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 06:42 PM (IST)
शांति समिति की मीटिग के बहाने पार्षद की हुई थी गिरफ्तारी

आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद :

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छह बार से लगातार पार्षद अनिल स्वामी को राम मंदिर आंदोलन के दौरान वर्ष 1990 में पुलिस ने शांति समिति की बैठक के बहाने गिरफ्तार कर लिया था। उस समय उन्हें 104 डिग्री बुखार था और वह चलने-फिरने की स्थिति में भी नहीं थे। उन्होंने कहा भी था कि एक दिन के लिए हिरासत में सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दो, उसके बाद जेल भेज देना लेकिन पुलिस ने नहीं मानी और उन्हें सहारनपुर जेल भेज दिया। सहारनपुर जेल में अनिल स्वामी करीब सवा महीने बंद रहे। इसके बाद वर्ष 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में वह अयोध्या पहुंचे और यहां भी उन्होंने गिरफ्तारी दी। वह कई दिन फैजाबाद जेल में भी बंद रहे। अब राम मंदिर निर्माण का सपना पूरा होते देख वह खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। उनका कहना है कि राम मंदिर आंदोलन में जेल जाना उनके लिए सीने पर मेडल लगने जैसा है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने के बाद वह जल्द ही अयोध्या जाएंगे और अपने साथ जेल में रहे साथियों को भी लेकर जाएंगे।

अनिल स्वामी वर्ष 1990 में नेहरूनगर के पार्षद थे। वर्ष 1989 में अयोध्या में हुए गोली कांड की वीडियो कैसेट वितरित हुई थीं, जिसमें पुलिस की कारसेवकों के साथ बर्बरता दिखाई गई थी। इस वीडियो को वह अपने घर पर क्षेत्र के लोगों को बुलाकर दिखाते थे और उन्हें राम मंदिर आंदोलन में जोड़ने के लिए प्रेरित करते थे। इस दौरान उन्होंने कई मशाल जुलूस भी निकाले और लोगों में राम मंदिर निर्माण की अलख जगाई। 12 अक्टूबर 1990 की रात उनके घर पर सिहानी गेट थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार यादव पहुंचे और कहा कि सीओ अनिल कुमार जैन थाने पर शांति समिति की बैठक ले रहे हैं। इसमें आपको भी शामिल होना है। इस समय अनिल स्वामी को 104 डिग्री बुखार था और वह घर पर अकेले थे। उन्होंने आने से असमर्थता जताई। पुलिस के अधिक दबाव डालने पर वह अपनी जीप से थाने पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसी रात पूरे जिले में से 46 कारसेवकों को गिरफ्तार किया गया था।

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जेल में हुआ कैदियों जैसा व्यवहार

अनिल स्वामी ने बताया कि 12 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए सभी 46 कारसेवकों को सहारनपुर जेल भेजा गया। यहां शुरुआती दिनों में कारसेवकों के साथ कैदियों जैसा बर्ताव किया गया। सभी को बैरक में बंद रखा गया, समय से सभी की गिनती होती थी, गिनती करने वाला डंडा लेकर खड़ा होता था और कैदियों वाला खाना मिलता था। इसके बाद धीरे-धीरे जब जेल में कारसेवकों की संख्या बढ़ी और यह संख्या एक हजार के पार पहुंच गई तो जेल प्रशासन बैकफुट पर आया और कार सेवकों के हिसाब से सभी व्यवस्थाएं संचालित होने लगीं।

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स्थानीय लोगों ने की खूब मदद

अनिल स्वामी ने बताया कि उनकी दीपावली समेत अन्य त्योहार जेल में ही मने। सहारनपुर के स्थानीय लोग व हिदू वादी संगठनों से जुड़े लोगों ने उनकी काफी मदद की। भैयादूज पर सैकड़ों की संख्या में स्थानीय महिलाएं जेल पहुंचीं और हर कारसेवक का तिलक किया। इसके साथ कारसेवकों की जरूरत का हर सामान स्थानीय लोग जेल में उपलब्ध कराते थे, तरह-तरह के व्यंजन जेल में बनकर आते थे।


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