चीनी बहिष्कार को लोग तैयार पर बाजार में मेड इन चाइना की भरमार
लगभग हर दुकानों पर चाइनीज सामान की भरमार है।
विजयभूषण त्यागी, मुरादनगर पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर पवन शर्मा के मन में देश के प्रति श्रद्धा की भावना है। पिछले दिनों लद्दाख की गलवन घाटी में चीन के साथ झड़प में भारतीय सैनिकों की शहादत का समाचार मिलने के बाद दीपक जीवन में कभी चीनी उत्पाद का इस्तेमाल न करने का मन बना चुके हैं, लेकिन किसी प्रकार की खरीदारी करने के दौरान खरीदे गए उत्पाद के (पेंदे में) मेड इन चाइना ही लिखा हुआ मिलता है। यह दुविधा सिर्फ दीपक की नहीं, बल्कि करोड़ों देशप्रेमी भारतीयों की है, जो कि नहीं चाहते हुए भी विकल्प के अभाव में चाइनीज उत्पादों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं, यदि कोई स्वदेशी निíमत उत्पादों को खरीदना भी चाहे तो मिलता ही नहीं है और यदि मिल भी गया तो चाइनीज उत्पादों की तुलना में गुणवत्ता कम और कीमत कई गुना होती है। हमारा मोबाइल बाजार इसका उदाहरण है, जहां करीब एक दशक पहले माइक्रोमैक्स, लावा जैसी दर्जन भर से अधिक भारतीय कंपनियां हुआ करती थी, लेकिन हाईटेक और किफायती चाइनीज कंपनियों ने कुछ ही वर्षो में भारतीय कंपनियों को बाजार से बाहर कर दिया और मोबाइल बाजार पूरी तरह चाइनीज कंपनियों के चंगुल में है, सिर्फ मोबाइल ही नहीं जूते, कपड़े, खिलौने, गिफ्ट आइटम्स, कॉस्मेटिक्स, रंग व पटाखों तक के बाजार का यही हाल है। आज शायद ऐसी ही कोई दुकान होगी, जिसमें रखा आधे से अधिक सामान चीन में या भारत में चीनी कंपनियों द्वारा निíमत न हो। अब जबकि देशप्रेम की भावना के वशीभूत लोग चीनी माल के बहिष्कार करने की घोषणा करते दिखाई दे रहे हैं तो ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि चाइनीज उत्पादों का बहिष्कार करके लोग खरीदेंगे क्या और क्या वास्तव में स्वदेशी कंपनियां चीनी उत्पादों को टक्कर दे सकती हैं, यदि व्यापारी वर्ग की मानें तो वह चाहते हैं कि वे अपनी दुकानों पर स्वदेशी सामान बेचे, लेकिन जब लोग गुणवत्ता और कीमत के आधार पर स्वदेशी और चाइनीज सामान की तुलना करते हैं तो अधिकतर लोग चाइनीज सामान को ही चुनते हैं। ऐसे में उनके सामने चाइनीज सामान बेचना मजबूरी बन जाता है। व्यापारी नेता अंकित गर्ग का कहना है कि जब तक सरकार स्वदेशी कंपनियों को प्रोत्साहन देकर अच्छी गुणवत्ता का सामान तैयार नहीं कराएगी चीनी माल के वर्चस्व को तोड़ना संभव नहीं होगा
हर कोई अपने पैसे बदले में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद खरीदना चाहता है। अधिकतर स्वदेशी उत्पाद गुणवत्ता के मामले में चीनी कंपनियों से पिछड़ जाते हैं।
-अंकित गर्ग,किराना व्यापारी - मेक इंडिया नारे के वर्षो बाद भी बाजार में चाइनीज कंपनियो का वर्चस्व पहले की भांति कायम है। जब तक धरातल स्तर पर काम नहीं होगा, अंतर नहीं दिखेगा।
- संजय त्यागी, ऑटो मोबाइल व्यापारी - प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर अभियान की सफलता, तभी निश्चित होगी, जब हमारी कंपनियां भी बाजार में विदेशी कंपनियों को टक्कर देंगी।
- मधुर गर्ग, इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी