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'धोखेबाज' कंपनी को ढाई गुना भुगतान पर मुख्य सचिव को भेजी आपत्ति

सूचना न देने बिना किसी जानकारी के संस्तुति से अधिक रकम के भुगतान को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आपत्ति जताई गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 09:54 PM (IST)
'धोखेबाज' कंपनी को ढाई गुना भुगतान पर मुख्य सचिव को भेजी आपत्ति
'धोखेबाज' कंपनी को ढाई गुना भुगतान पर मुख्य सचिव को भेजी आपत्ति

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : काम बीच में ही छोड़कर भागी नगर निगम के साथ धोखाधड़ी की आरोपित व्हाइट प्लाकार्ड टेक्नोलॉजीज प्रा.लि. को ढाई गुना भुगतान को लेकर नगर आयुक्त डॉ. दिनेश चंद्र ने शासन को आपत्ति भेजी है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि मई-2019 में नगर विकास विभाग की ओर से कंपनी को 3.37 करोड़ रुपये के सापेक्ष 8.97 करोड़ रुपये का भुगतान करने की जानकारी मिली है। पार्षद राजेंद्र त्यागी के पत्र का हवाला दे उन्होंने आपत्ति जताई कि इस बारे में न तो नगर निगम से कोई रिपोर्ट ली गई और अधिक भुगतान की जानकारी तक नहीं दी गई।

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बता दें कि साल-2016 में व्हाइट प्लाकार्ड कंपनी को गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में सोडियम लाइट के स्थान पर 50,214 एलईडी लाइट लगाकर स्ट्रीट लाइटों का सात साल तक रखरखाव करने का ठेका मिला था। इसके एवज में कंपनी को विद्युत बिल में बचत की 75 फीसद राशि मिलनी थी, जिसका 70 फीसद हिस्सा नगर विकास विभाग और 30 फीसद हिस्सा नगर निगम को देना था। नगर निगम के मुताबिक कंपनी ने 35,388 लाइट ही लगाईं और रखरखाव भी अब नगर निगम को ही करना पड़ रहा है। यांत्रिकी विभाग के जेई ने नवंबर-2019 में कंपनी के खिलाफ थाना सिहानी गेट में धोखाधड़ी की धाराओं में रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। नगर निगम बोर्ड ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने को कहा और कंपनी को किसी भी भुगतान का विरोध किया, लेकिन बाद में 3.37 करोड़ रुपये के भुगतान की संस्तुति नगर आयुक्त और मेयर की ओर से कर दी गई। सोमवार को भाजपा पार्षद दल के नेता राजेंद्र त्यागी ने आरोप लगाया कि 3.37 करोड़ के बजाए नगर विकास विभाग ने मई-2019 में कंपनी के खाते में 8.97 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए और इसकी सूचना तक नगर निगम को नहीं दी गई। नगर आयुक्त ने कहा कि नियमानुसार कोई भुगतान नगर निगम के हिस्से से होता है तो नगर विकास विभाग की ओर से हमे सूचना दी जानी चाहिए थी। सूचना न देने, बिना किसी जानकारी के संस्तुति से अधिक रकम के भुगतान को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आपत्ति जताई गई है।


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