SSP के PRO की वायरल हो रही पोस्ट से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप, DGP तक पहुंचा मामला
गाजियाबाद के पीआरओ पंकज कुमार ने जिले में हो रही ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सवाल उठाए हैं। मामला डीजीपी तक पहुंच गया है।
गाजियाबाद [आयुष गंगवार]। पहले लिंक रोड और फिर इंदिरापुरम थाना प्रभारी की वजह से गाजियाबाद पुलिस के दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग धुले भी नहीं थे कि एसएसपी सुधीर कुमार सिंह के पीआरओ इंस्पेक्टर पंकज कुमार द्वारा वाट्स ग्रुप में फॉरवर्ड की एक पोस्ट में ट्रांसफर-पो¨स्टग को लेकर कप्तान पर सवाल खड़े किए गए। इंस्पेक्टर पंकज के पर्सनल नंबर से सोमवार शाम एक वाट्सएप ग्रुप पर कुछ पोस्ट फॉरवर्ड की गईं। इनमें लिखा है कि आखिर भ्रष्टाचारियों को ही थानों का चार्ज क्यूं दिया जा रहा है। एसएसपी उच्चाधिकारियों के मापदंडों को कुछ भी नहीं समझते क्या? पोस्ट में कविनगर थाना प्रभारी अनिल कुमार शाही समेत मंगलवार को ट्रॉनिका सिटी थाना प्रभारी बने रमेश राणा और नगर कोतवाल बने सतेंद्र प्रकाश सिंह पर सवाल उठाए गए हैं। यह पोस्ट मंगलवार को शहर के साथ लखनऊ और पूरे प्रदेश में वायरल हुई तो हड़कंप मच गया। हालांकि बाद में इंस्पेक्टर पंकज ने स्पष्टीकरण देते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया तो वहीं एसएसपी ने एसपी सिटी डॉ. मनीष मिश्र को जांच सौंपने की बात कही।
तीन दिन बाद भ्रामक सूची बनी आधिकारिक!
दरअसल इस पूरे मामले की शुरुआत आठ नवंबर की शाम को ही हो गई थी, जब वाट्सएप ग्रुपों पर महिला थाना समेत चार थानों के प्रभारी बदलने की सूचना वायरल हुई थी। इसमें सत्येंद्र प्रकाश सिंह को नगर कोतवाल व यहां से लक्ष्मण वर्मा को डीसीआरबी प्रभारी, डीसीआरबी प्रभारी गजेंद्र सिंह को सिहानी गेट थाना प्रभारी व यहां से उमेश बहादुर सिंह को क्राइम ब्रांच, कविनगर थाने से इंस्पेक्टर रमेश राणा को ट्रॉनिका सिटी थाना प्रभारी और जिज्ञासा पाराशर को महिला थाना प्रभारी व यहां से रेनू सक्सेना को महिला सेल प्रभारी बनाए जाने की बात कही गई थी। मीडिया सेल प्रभारी ने इस पोस्ट को भ्रामक पोस्ट बताते हुए मामले की जांच कर कार्रवाई तक की बात कह दी थी। मंगलवार कथित भ्रामक पोस्ट के अनुरूप चारों इंस्पेक्टरों ने अपने-अपने थानों का चार्ज लिया, लेकिन पीआरओ ने उक्त सूची से दो इंस्पेक्टरों को शामिल करते हुए सोमवार शाम को ही पोस्ट फॉरवर्ड कर दी। इससे दो सवाल और उठते हैं कि जब उन्हीं इंस्पेक्टरों को वहीं थाने दिए गए तो पुलिस ने उस पोस्ट को भ्रामक कैसे कहा? यदि ट्रांसफर मंगलवार को ही हुए तो पीआरओ ने सोमवार को ही इस संबंध में पोस्ट कैसे फॉरवर्ड कर दी?
एसएसपी और पीआरओ के वर्जन में विरोधाभास
पुलिस तक बात पहुंची तो मीडिया सेल प्रभारी ने एसएसपी का वर्जन जारी करते हुए कहा कि उनके पीआरओ ने इस तरह की पोस्ट किसी ग्रुप में डालने से इन्कार किया है, लेकिन जब पीआरओ पंकज की बाइट जारी की गई तो उसमें साफ तौर पर उन्होंने कहा कि सोमवार को उनके पास किसी ने यह पोस्ट भेजी थीं। वह इन्हें डिलीट करना चाहते थे, लेकिन पोस्ट फॉरवर्ड हो गई। हैरान करने वाली बात है कि इंस्पेक्टर को इसका पता भी नहीं चला। मंगलवार तक भी उक्त ग्रुप पर यह पोस्ट पड़ी रहीं।
वायरल हो रही पोस्ट के अनुसार, पीआरओ ने लिखा है कि गाजियाबाद की बड़ी पेशी में पेशकार सत्येंद्र सिंह जिनको खोड़ा थाने से हटे हुए अभी 6 महीने भी नहीं हैं उनको थाने का चार्ज दिया जा रहा है। पीआरओ आगे लिखते हैं कि अगर वे इतने योग्य थे तो उन्हें हटाया क्यों गया था। क्या कोई योग्य इंस्पेक्टर थाना इंचार्ज लायक नहीं है।
वायरल पोस्ट के अनुसार, पीआरओ ने सवाल उठाया है जिसमें कहा गया है कि गाजियाबाद में ही भ्रष्टाचारियों को क्यों थाने का चार्ज दिया जा रहा है। पीआरओ ने कुछ पुलिस थानों के इंचार्ज के नाम का भी खुलासा किया है।