एक गांव ऐसा भी जहां कोरोनावाहकों को रोकने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे, दी जाती चेतावनी
यही वजह है कि इस गांव में अब कोरोना संक्रमित कोई मरीज नहीं है। जिन लोगों को कोरोना हुआ था वे कोरोनावाहक बनकर दूसरों तक कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा सके। कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए अपनाई गई इस नई तकनीक से ग्रामीण स्वस्थ हैं।
गाजियाबाद, [अभिषेक सिंह]। अपराधियों की धरपकड़ के लिए लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे इन दिनों रजापुर ब्लाक के अटौर ग्राम पंचायत में कोरोना वाहकों की धरपकड़ कराने का कार्य कर रहे हैं। यही वजह है कि इस गांव में अब कोरोना संक्रमित कोई मरीज नहीं है। जिन लोगों को कोरोना हुआ था, वे कोरोनावाहक बनकर दूसरों तक कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा सके। कोरोना संक्रमण को काबू में करने के लिए अपनाई गई इस नई तकनीक से ग्रामीण स्वस्थ हैं।
ऐसे हो रहा कार्य
गांव में अलग-अलग स्थानों पर 25 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों में कैद तस्वीरें पंचायत भवन और ग्राम प्रधान के घर लगी स्क्रीन में नजर आती हैं। कैमरों के साथ ही गांव में लाउडस्पीकर भी लगाए गए हैं। ऐसे में जिन स्थानों पर लोग बेवजह घूमते हुए नजर आते हैं, वहां लाउडस्पीकर के माध्यम से उनको चेताया जाता है। अगर बेवजह घूमने वाले व्यक्ति गांव के हैं तो उनको घर जाने के लिए कहा जाता है अगर गांव से बाहर के व्यक्ति हैं तेा उनको गांव से बाहर जाने के लिए कहा जाता है, जिससे की सभी सुरक्षित रहें।
गांव में आक्सीजन की आपूर्ति के लिए लगे हैं हजारों पेड़: गांव में करीब आठ-दस व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आए, लेकिन यहां पर ज्यादातर लोग घर पर ही स्वस्थ हो गए। आक्सीजन का लेवल भी कम नहीं हुआ, क्योंकि गांव में ही करीब 30 बीघा जमीन पर पार्क बनाया गया है। जिसमें हजारों की संख्या में पेड़ लगाए गए हैं। गांव में हरियाली के कारण ग्रामीणों को भरपूर मात्रा में आक्सीजन मिलती है।
गांव में ही वैक्सीनेशन और जांच की सुविधा
ग्राम प्रधान मुनेश ने बताया कि गांव में ही अस्पताल है, जहां पर वैक्सीनेशन और कोरोना की जांच की भी सुविधा है। इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उपचार के लिए दवाई भी मिल जाती है। इस वजह से ग्रामीणों को जांच और कोरोनारोधी टीका लगवाने के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
अधिकारी का बयान
अटौर गांव में संक्रमण का एक भी सक्रिय केस नहीं है। ग्राम पंचायत में सीसीटीवी कैमरे और लाउडस्पीकर लगे हैं, जिसका इस्तेमाल लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है। - अनिल त्रिपाठी, जिला पंचायत राज अधिकारी।