प्रदूषण से निपटने के लिए हमें करने होंगे कई उपाय, जानिए क्या कहता है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
जिले में जो वायु प्रदूषण की स्थिति है वह खतरनाक रहती है इसके लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं। ग्रीन जोन में भी पानी का छिड़काव हो।
गाजियाबाद [गौरव शशि नारायण]। जिला बीते 15 दिन से प्रदूषण से कराह रहा है। वायुमंडल में स्मॉग का
चेंबर बन गया है जो आमजन को परेशान कर रहा है। जिला साल में लगभग चार माह से अधिक का देश का सबसे प्रदूषित शहर बना रहता है। जिला प्रशासन की ओर से इस बार सितंबर से ही प्रदूषण की रोकथाम के उपाय करने के बावजूद भी नवंबर तक स्थिति में सुधार नहीं हो सका है। बीते चार दिन से जिले में स्मॉग की
ऐसी चादर छाई हुई है कि सूर्य देवता के दर्शन भी नहीं हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि प्रशासनिक सहभागिता के साथ-साथ आमजन को भी सहयोग करना होगा।
घरों, स्कूलों, अस्पतालों, मॉल-मल्टीप्लेक्स और सोसायटी के आसपास पानी का छिड़काव खुद से किया जाए। लोग भी जागरूकता दिखाएं और अपने घरों की चिमनी को सप्ताह में एक दिन का रेस्ट दें। इसके साथ ही गाजियाबाद में सबसे ज्यादा पीएम 2.5 और पीएम-10 को बढ़ावा निर्माण कार्य से मिलता है। इसमें वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र और नेशनल हाईवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआइ) का काम जारी है। प्रस्तुत है यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा से दैनिक जागरण के गौरव शशि नारायण की बातचीत के
प्रमुख अंश :
नाम : उत्सव शर्मा क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी गाजियाबाद रीजन।
मूल निवासी : लखनऊ।
पिता का नाम : राजीव ।
शिक्षा : स्नातकोत्तर पर्यावरण विषय पर इसके साथ विदेश से भी प्रदूषण नियंत्रण की विशेष ट्रेनिंग प्राप्त की है।
पूर्व तैनाती : ग्रेटर नोएडा।
वर्तमान तैनाती : गाजियाबाद और हापुड़ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
शौक : पढ़ना, घूमना और संगीत सुनना।
गाजियाबाद को वायु प्रदूषण से निजात क्यों नहीं मिल पा रही है, जबकि इस बार प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक महीने पहले ही सक्रिय हो गया था?
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन स्तर पर सितंबर माह में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होने से पहले ही लोनी, साहिबाबाद, मुरादनगर और हापुड़ की औद्योगिक इकाइयों पर धूल व धुआं फैला रहे चार सौ से अधिक को नोटिस जारी किया गया। इसके बाद ग्रेप लागू होते ही सड़कों पर छिड़काव हुआ। धूल पर रोकथाम लगाई गई लेकिन खराब मौसम और वायु की धीमी गति के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर है।
बीते चार दिनों से जिस प्रकार से स्मॅाग की चादर छाई हुई है यह बेहद घातक है। इसे कैसे कम किया जा सकता है और यह पैदा क्यों हुई है ?
- बीते चार दिनों में जो स्मॉग की चादर है उसका यही कारण है कि बारिश की बूंदे बहुत कम पड़ी और हवा की गति बेहद धीमी है, जिससे वायुमंडल की ऊपरी सतह में जो प्रदूषण था वह नीचे आ गया है और स्मॉग के रूप में लोगों को दिखाई दे रहा है। इससे सांस लेने में तकलीफ, आंखों व नाक से जलन और शारीरिक के कई हिस्सों में दर्द की परेशानी पैदा हो रही है।
गाजियाबाद को वायु प्रदूषण व स्मॉग अधिक क्यों प्रभावित कर रहा है ?
-गजियाबाद, हापुड़ और आसपास के जिलों में जो वायु प्रदूषण की स्थिति है उसका मुख्य कारण पराली का जलाना है। साथ ही उत्तर भारत के मौसम का डिस्टरबेंस होना मुख्य वजह है। वहीं इसमें लोकल फैक्टर भी शामिल हैं जैसे जाम लगना, सड़कों का टूटा होना, सड़कों से धूल उड़ना, खुले में कूड़ा फैला होना व जलाया जाना इत्यादि। इसको रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासनिक स्तर प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रयास किया जा रहा है। बड़ी राहत बारिश होने व हवा की गति 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक होने पर मिल सकती है।
स्कूलों के आसपास छिड़काव कराने का आदेश, बे असर क्यो दिख रहा है ?
स्कूलों के लिए लगातार निर्देशित किया गया है, चार दिन से नगर निगम, नगर पालिका, जीडीए व जलकल विभाग के टैंककर छठ महोत्सव में लगे हुए थे। अब छठ महोत्सव समाप्त हो गया है, सोमवार से सभी इलाकों में ठीक प्रकार से छिड़काव होगा। जिसका आने वाले दिनों में फायदा भी देखने को मिलेगा।
ऐसा क्या किया जाए कि अगले साल वायु प्रदूषण की ऐसी स्थिति से ना जूझना पड़े ?
- इसके लिए औद्योगिक क्षेत्र को पूरी तरह सीएनजी-पीएनजी पर कन्वर्ट करना होगा। इसके साथ ही शहर की जितनी भी छोटी भटियां और तंदूर हैं उनको गैस पर लाना होगा। सड़कों के आसपास धूल ना रहे इसके लिए ग्रीन बेल्ट बढ़ानी होगी। पानी का सड़कों के किनारे छिड़काव अगस्त माह से ही जारी रखना होगा। निर्माण कार्यों पर सख्ती और जो भी निर्माण होगा नियमानुसार कराना होगा।
बीते 15 दिन के क्या कार्रवाई की गई और इससे क्या राहत मिल सकती है ?
जिलाधिकारी गाजियाबाद और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से प्रदूषण फैलाने वाली सभी कार्यों को मॉनिटर किया जा रहा है। वहीं एनएचएआइ पर पीएम-10 धूल के कण बढ़ने को लेकर 90 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया। इसके साथ ही 15 अक्टूबर से ग्रेप लागू होने के बाद अलग-अलग क्षेत्र और सरकारी मशीनरी द्वारा लगभग पांच करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया जा चुका है। इसकी जानकारी मुख्यालय और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) को भेज दी गई है और प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कारणों को भी नियंत्रित किया जा
रहा है। इससे आगे राहत मिल सकेगी।
. क्या उपाय अपनाए जाएं, जिससे जिले के लोगों को प्रदूषण से हर साल ऐसे जूझना नहीं पड़े?
- जिले में जो वायु प्रदूषण की स्थिति है वह खतरनाक रहती है, इसके लिए आवश्यक है कि अधिक से अधिक पौधे लगाए जाएं। ग्रीन जोन में भी पानी का छिड़काव हो। पौधों की धुलाई हो। स्कूलों, कॉलेजों में साल भर पर्यावरण जागरूकता के कार्यक्रम में वायु प्रदूषण का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही प्रमुख चौराहों, रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन पर वायु प्रदूषण रोकथाम के लिए हेल्पलाइन नंबर और ट्विटर हैंडल भी साझा किए जाएंगे।