रेलवे की लापरवाही, दस साल चली टिकट रिफंड की लड़ाई; 60 दिन में पैसा वापस करने का आदेश जारी
उन्होंने रेलवे को आदेश दिया कि निर्णय की दिनांक के 60 दिन के भीतर परिवादी को उसके दो टिकट का मूल्य 2870 रुपये नियमानुसार कैंसिलेशन चार्ज की कटौती करके वापस करें। साथ ही 1000 रुपये परिवाद व्यय भी अदा करें।
गाजियाबाद, आदित्य त्रिपाठी। लाख सुविधाओं का दावा करने वाले रेलवे विभाग की पोल उपभोक्ता फोरम के एक फैसले से खुल गई। एक व्यक्ति ने आइआरसीटीसी के माध्यम से चार टिकट आनलाइन बुक कराए थे। दो टिकट कंफर्म हो गए और दो टिकट वेटिंग लिस्ट में रह गए। इन दो टिकट का रिफंड लेने के लिए पीड़ित व्यक्ति को दस साल की लंबी लड़नी पड़ी। पीड़ित की शिकायत पर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने नियमानुसार कैंसिलेशन चार्ज काटकर रिफंड वापस करने व 1000 रुपये परिवाद व्यय देने के लिए रेलवे को आदेश किए हैं।
वसुंधरा निवासी जगदीश कुमार केन ने पांच मई 2012 को नई दिल्ली कोलकाता राजधानी में आइआरसीटीसी के माध्यम से आनलाइन थर्ड एसी के चार टिकट अजय कुमार, रजनी, राजबाला और अपना टिकट बुक किया था। टिकट बुक करते ही उनके खाते से 5740 रुपये कट गए। यात्रा पर जाने वाले दिन जगदीश ने जब आनलाइन टिकट चेक किए तो अजय कुमार और रजनी के टिकट कंफर्म हो गए। लेकिन जगदीश कुमार और राजबाला के टिकट कंफर्म नहीं हुए।
पीड़ित ने 14 मई 2012 को रिफंड के लिए आवेदन किया। लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी उनके खाते में पैसा नहीं आया। आइआरसीटीसी को लिखा पत्र रिफंड के लिए आवेदन करने बाद भी जब पैसा नहीं आया तो पीड़ित ने आइआरसीटीसी को पैसा वापस करने के लिए पत्र लिखा। इसके जवाब में आइआरसीटीसी ने लिखा कि उसे केवल ई-टिकट बुक करने का अधिकार है। टिकट का पैसा वापस करने की जिम्मेदारी रेल के गतंव्य स्थान के मुख्य वाणिज्यक प्रबंधक की है।
इसके बाद पीड़ित ने मुख्य वाणिज्य प्रबंधक ईस्टर्न रेलवे कोलकाता को अपनी समस्या के समाधान को पत्र लिखा। एक माह बीत जाने के बाद भी जब टिकट का पैसा नहीं आया तो उन्होंने वर्ष 2013 में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खट खटाया।
60 दिन के भीतर भुगतान करे रेलवे
उपभोक्ता फोरम में उन्होंने करीब दस साल अपने टिकट के रिफंड के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। 13 मार्च 2023 को आखिरकार उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन और महिला सदस्य शैलजा ने उनके हक में फैसला सुनाया। उन्होंने रेलवे को आदेश दिया कि निर्णय की दिनांक के 60 दिन के भीतर परिवादी को उसके दो टिकट का मूल्य 2870 रुपये नियमानुसार कैंसिलेशन चार्ज की कटौती करके वापस करें। साथ ही 1000 रुपये परिवाद व्यय भी अदा करें। ऐसा नहीं करने पर परिवादी रेलवे से उक्त राशि पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज निर्णय दिनांक से अंतिम भुगतान तक पाने का अधिकारी होगा।
भारत संचार निगम लिमिटेड को दो हजार रुपये देने के आदेश
भारत संचार निगम लिमिटेड से वर्ष 2012 में राजनगर के केपी सिंह ने लैंड लाइन कनेक्शन पर ब्राडबैंड सेवा ली थी। कुछ दिन बाद ही ब्राडबैंड खराब हो गया। उन्होंने टेलीफोन एक्सचेंज में पांच बार इसकी शिकायत की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। तंग आकर उन्होंने वर्ष 2016 में उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। शिकायत में उन्होंने कहा ब्राडबैंड खराब होने के कारण उनको आर्थिक क्षति हुई है।
इस मामले में उपभोक्ता फोरम ने सुनवाई की। मार्च 2023 में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग क अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन और महिला सदस्य शैलजा सचान ने निर्णय दिया कि भारत संचार निगम लिमिटेड परिवादी को दो हजार रुपये सेवा में कमी, मानसिक क्षति और परिवाद व्यय के लिए अदा करे।