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महिला को अबला समझने वालों को आईना दिखा रही हैं प्रियांजली, बच्चों की करती हैं मदद

प्रियांजली का कहना है कि जब महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ काम करने का मन बनाया है तो फिर धमकी की परवाह करना भी छोड़ दिया।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 14 Aug 2017 07:07 PM (IST)Updated: Mon, 14 Aug 2017 07:07 PM (IST)
महिला को अबला समझने वालों को आईना दिखा रही हैं प्रियांजली, बच्चों की करती हैं मदद
महिला को अबला समझने वालों को आईना दिखा रही हैं प्रियांजली, बच्चों की करती हैं मदद

गाजियाबाद [शोभित शर्मा]। नारी सशक्तीकरण को लेकर जितनी तरह की बातें समाज में होती हैं, उतने लोग काम करने वाले भी हों तो महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, नारी शोषण जैसे शब्द ही लगभग गायब हो जाएं। महिला को अबला समझने वालों को आईना दिखाने का काम प्रियांजली मिश्रा बखूबी कर रही हैं।

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आशा ज्योति केंद्र में प्रियांजली काउंसलर हैं लेकिन इसके इतर उनके प्रयास महिला अत्याचारों के विरूद्ध आवाज उठाकर उन्हें न्याय दिलाने तक भी रहता है। अपने दायित्वों को मन, कर्म, वचन से निभा रहीं प्रियांजली कई केस में पीड़ित महिलाओं के लिए घर की सदस्य जैसी बन गई हैं। न्याय मिलने के बाद महिलाएं उनसे अभी भी परिवार की तरह ही जुड़ी हुई हैं।

सरकारी नौकरी छोड़ समाजसेवा का चुना रास्ता

कहते हैं कि महिला का दर्द एक महिला ही समझ सकती है। कई तरह के मामले सामने आने के बाद प्रियांजली ने भी कुछ ऐसा ही दर्द महसूस किया। जिला संगठन आयुक्त के पद से इस्तीफा दिया और पहले नेहरू युवा केंद्र से और फिर आशा ज्योति केंद्र ज्वाइन कर महिलाओं के लिए काम करना शुरू कर दिया।

मूल रूप से बलरामपुर निवासी प्रियांजली दिल्ली से इंजीनियरिंग कर चुकी हैं। उनके पिता शिवा शिवशरण मिश्रा भी इंजीनियर हैं जबकि मां माधुरी मिश्रा सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्या हैं। पिता अपनी तरह प्रियांजली को इंजीनियर बनाना चाहते थे जबकि मां की इच्छा थी कि वह शिक्षा के क्षेत्र में काम करे लेकिन इससे अलग उन्होंने समाजसेवा को अपना लक्ष्य बनाया है।

प्रियांजली सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कर रही हैं। इसमें सफलता मिलने पर उनकी इच्छा महिलाओं के उत्थान और अत्याचारों के खिलाफ काम करने की ही है। सफलता न मिलने की सूरत में वह अनाथ बच्चों और बुर्जुगों के लिए एक ऐसा आश्रम खोलना चाहती हैं, जहां सभी एक साथ रह सकें।

मानव तस्करी से लेकर घरेलू हिंसा तक में की महिलाओं की मदद

मोदीनगर हाइवे पर सहारनपुर से मानव तस्करी के लिए लाई जा रही 19 वर्ष की लड़की को अपनी टीम के साथ बरामद किया गया। काउंसलिंग करते हुए पीड़ित लड़की में आत्मविश्वास पैदा करने का काम प्रियांजली ने किया। उनके प्रयास से पीड़िता खुद पर हुए तमाम अत्याचारों को भुलाकर शिक्षित होने के लिए तैयार हुई है।

इसके अलावा बेटे के अत्याचारों की शिकार एक मां को कानूनी तरीके से न्याय दिलाया। पीड़ित बुर्जुग महिला प्रियांजली को अपनी बेटी से कम नहीं मानती है। एलएलबी कर चुकी उच्च शिक्षित महिला को उसके पति के अत्याचारों के बाद काउंसङ्क्षलग से मुख्य धारा में जोड़ा। इतना ही नहीं पीडि़ता की मदद करते हुए पुलिस से सही धाराओं में मामला दर्ज कराने के बाद आरोपी को जेल भी भिजवाया।

मुरादनगर में दरिंदगी का शिकार मासूम बच्ची के परिजनों को भी न्याय दिलाने में प्रियांजली ने आखिर तक साथ दिया। महिला अत्याचारों के अलावा वह उन बच्चों के लिए भी काम करती हैं, जिनके लिए शिक्षा के मायने कुछ हैं ही नहीं। परिवारों से लड़ झगड़ कर उन्होंने पांच बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूल में भी कराया है।

धमकियों से भी हटते कदम

प्रियांजली बताती हैं कि इस क्षेत्र में वह काम कर रही हैं, उसमें कई बार आरोपी धमकी देने, देख लेने जैसी बातें भी कहते हैं। उनका कहना है कि जब महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ काम करने का मन बनाया है तो फिर धमकी की परवाह करना भी छोड़ दिया।

पीएम अवार्ड के लिए हैं नामित

प्रियांजली को वर्ष 2011-12 में समाज सेवा के राज्य पुरस्कार तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी से मिल चुका है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश से उनको डा. लक्ष्मी मजूमदार अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। प्रियांजली जिला बहराइच से प्रधानमंत्री शील्ड स्काउट और गाइड समाज कार्य में अवार्ड के लिए भी नामित हैं।

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