फेसबुक लाइव कर लोगों को भड़काने के आरोपित सपा नेता उम्मेद पहलवान पर लगेगा रासुका, रिपोर्ट तैयार
बुजुर्ग अब्दुल समद से मारपीट को सांप्रदायिक रंग देने और फेसबुक लाइव कर लोगों को भड़काने के आरोपित सपा नेता उम्मेद पहलवान पर जल्द रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगेगा। पुलिस ने रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसमें सभी साक्ष्य व मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। लोनी में रुपये के लेनदेन में हुए विवाद में बुजुर्ग अब्दुल समद से मारपीट को सांप्रदायिक रंग देने और फेसबुक लाइव कर लोगों को भड़काने के आरोपित सपा नेता उम्मेद पहलवान पर जल्द रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगेगा। पुलिस ने रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसमें सभी साक्ष्य व मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। राजनीतिक फायदा और पार्टी में अपना कद बढ़ाने के लिए माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले उम्मेद को रासुका लगने के बाद लंबे समय तक जेल में रहना होगा, क्योंकि इसकी कार्रवाई के बाद एक साल तक जमानत मिलना बेहद मुश्किल होता है।
आज एसएसपी करेंगे हस्ताक्षर
उम्मेद पहलवान को गाजियाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने 19 जून की दोपहर दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के पास से गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि मारपीट के वीडियो से छेड़छाड़ कर माहौल खराब करने के लिए उसे वायरल किया। अब्दुल समद को बरगलाकर उसके साथ फेसबुक लाइव कर दो संप्रदायों में संघर्ष कराने की साजिश रची और पुलिस के केस दर्ज करने के बाद अब्दुल समद व उसके बेटे को बंधक बना लिया था।
उम्मेद फिलहाल डासना स्थित जिला कारागार में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि उमेद के खिलाफ 5-6 केस दर्ज हैं। उम्मेद के खिलाफ थाना लोनी बार्डर पुलिस ने रासुका के तहत कार्रवाई के लिए सभी दस्तावेज के साथ रिपोर्ट तैयार कर भेज दी है। एसएसपी के मुताबिक मंगलवार को वह संस्तुति कर देंगे, जिसके बाद जिलाधिकारी के पास यह रिपोर्ट भेजी जाएगी।
41 ए का नोटिस सुप्रीम कोर्ट की राह में रोड़ा
उधर, ट्विटर के एमडी मनीष माहेश्वरी के सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं, जबकि कयास लगाए जा रहे थे कि गाजियाबाद पुलिस सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। मनीष माहेश्वरी ने पुलिस के 41 ए के नोटिस के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। इस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 29 जून तक उनके खिलाफ कड़े कदम ना उठाने का आदेश दिया था। पुलिस सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रही थी।
सूत्रों की मानें तो विधि विशेषज्ञों से राय के बाद पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट जाने का विचार छोड़ दिया है। इसके पीछे 41ए का नोटिस भेजने की जल्दबाजी को वजह माना जा रहा है, क्योंकि पहले नोटिस की अवधि पूरी होने से पहले ही पुलिस ने दूसरा नोटिस मनीष माहेश्वरी को भेज दिया था। वहीं इस मामले में फेसबुक को नोटिस भेजने से गाजियाबाद पुलिस ने साफ इंकार कर दिया है।