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पानी की बर्बादी पर एनजीटी सख्‍त, जलशक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

रिहायशी और व्यवसायिक क्षेत्रों में हो रही पानी की बर्बादी पर च‍िंता जाहिर करते हुए एक पार्षद ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। इस पर अब जवाब मांगा गया है।

By Edited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 07:20 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 07:29 AM (IST)
पानी की बर्बादी पर एनजीटी सख्‍त, जलशक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड से मांगी रिपोर्ट
पानी की बर्बादी पर एनजीटी सख्‍त, जलशक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड से मांगी रिपोर्ट

गाजियाबाद, जेएनएन। रिहायशी और व्यावसायिक क्षेत्रों में हो रही पानी की बर्बादी पर चि‍ंता जाहिर करते हुए एक पार्षद ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 और 5 के तहत दिशा निर्देश मांगे थे। साथ ही पानी की बर्बादी को अपराध घोषित करने की मांग की थी।

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इस मामले में एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से तथ्यात्मक जानकारी और कार्रवाई रिपोर्ट एक माह में तलब की है। अब 23 अगस्त को इस मामले में सुनवाई होगी। गाजियाबाद के वार्ड-84 के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने नीति आयोग के कंपोजिट वाटर रिसोर्सेज मैनेजमेंट इंडेक्स को आधार बनाकर एनजीटी में दायर याचिका की थी।

उसमें घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हो रही पानी की बर्बादी को लेकर चि‍ंता जाहिर की थी। कहा था कि इसे रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा। पूरे देश में चार करोड़ 84 लाख 20 हजार घन मीटर पानी की रोजाना बर्बादी हो रही है।

16.30 करोड़ लोग पानी से वंचित हैं। 60 करोड़ लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं। एनजीटी को बताया कि गाजियाबाद समेत देश के 21 शहरों में पेयजल की स्थिति बेहद खराब है। रोजाना लोग 15 से 16 लीटर पानी एक फ्लश में बहा देते हैं।

तीन में से एक व्यक्ति नल खुला छोड़ता है, जिससे एक मिनट में पांच लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। नहाने में एक मिनट में प्रति व्यक्ति 10 लीटर पानी जाया होता है। ब्रश करने, पुरानी तकनीक की वॉशि‍ंग मशीन से कपड़े धोने और बर्तन धोने में बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी की जा रही है। यह भी बताया कि 2025 तक देश में पानी की मांग 40 बिलियन घन मीटर से बढ़कर 220 बिलियन घन मीटर होने की संभावना है।

याचिका में उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 और 5 के तहत दिशा निर्देश मांगे थे। साथ ही पानी की बर्बादी को अपराध घोषित करने की मांग की थी। इस मामले में एनजीटी ने जल शक्ति मंत्रालय और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से तथ्यात्मक जानकारी और कार्रवाई रिपोर्ट एक माह में मांगी तलब की है। याचिकाकर्ता को आदेश दिया है कि वह जल शक्ति मंत्रालय और डीजेबी को एक सप्ताह में सभी दस्तावेज मुहैया कराए।

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