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Nikay Chunav 2023 : गाजियाबाद में महापौर की महिला सीट पर सामान्य से ज्यादा ओबीसी प्रत्याशी, रोमांचक होगा चुनाव

UP Nagar Nikay Chunav सियासी लड़ाई में वोटरों को साधने के लिए अब चुनाव प्रचार शुरू होगा ऐसे में देखना है कि मतदाताओं का झुकाव किस प्रत्याशी की ओर होगा। महापौर की सीट पर भाजपा ने सामान्य वर्ग से वैश्य समाज की सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया है।

By Abhishek SinghEdited By: Abhishek TiwariPublished: Tue, 25 Apr 2023 08:27 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2023 08:27 AM (IST)
Nikay Chunav 2023 : गाजियाबाद में महापौर की महिला सीट पर सामान्य से ज्यादा ओबीसी प्रत्याशी, रोमांचक होगा चुनाव
गाजियाबाद में महापौर की महिला सीट पर सामान्य से ज्यादा ओबीसी प्रत्याशी, रोमांचक होगा चुनाव

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। UP Nagar Nikay Chunav : नगर निकाय चुनाव में गाजियाबाद महापौर की सीट महिला के लिए आरक्षित हुई है। इस सीट पर सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग के छह प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे हैं। सामान्य वर्ग के पांच प्रत्याशी ने नामांकन कराया है। ऐसे में राजनीतिक दलों के सियासी समीकरण पर असर पड़ सकता है। चुनाव भी रोमांचक होगा।

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महापौर की कुर्सी पर कब्जे के लिए दूसरे वर्ग के मतदाताओं का साथ भी प्रत्याशियों को चाहिए होगा। जातीय समीकरण के साथ ही विकास के मुद्दे भी चुनाव में अहम होंगे। सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने ओबीसी प्रत्याशी को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा, जिससे कि जातीय समीकरण को साधा जा सके। सपा की सियासी चाल यह है कि ओबीसी वर्ग के मतदाताओं के बीच संदेश जाए कि उन्होंने महिला सीट पर भी सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को न उतार कर ओबीसी वर्ग को अधिक महत्व दिया है।

ओबीसी वोटरों की संख्या छह लाख से अधिक

रालोद और आजाद समाज पार्टी के साथ सपा का गठबंधन भी है। महापौर सीट पर कुल 15.39 लाख मतदाताओं में से ओबीसी वोटरों की संख्या छह लाख से अधिक है। ओबीसी के साथ ही सपा पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं और सामान्य वर्ग के वोटरों को साथ लेकर इस सीट पर जीत हासिल करना चाहती है, लेकिन महापौर सीट पर पांच और ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों ने दावेदारी की है। इसमें बसपा की निसारा खान, जन अधिकार पार्टी की पिंकी प्रजापति, एआइएमआइएम की शहनाज मलिक, निर्दलीय बबीता डागर और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की सविता यादव शामिल हैं। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग से नीरज प्रकाश चौधरी ने दावेदारी की है।

पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को बसपा अपना वोटर मानती है, इसलिए उसने भी ओबीसी वोटरों को साधने के लिए निसारा खान को प्रत्याशी बनाया है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में प्रत्याशियों के बीच मतों का बंटवारा हुआ तो सपा की सियासी चाल बिगड़ सकती है। सियासी लड़ाई में वोटरों को साधने के लिए अब चुनाव प्रचार शुरू होगा, ऐसे में देखना है कि मतदाताओं का झुकाव किस प्रत्याशी की ओर होगा। प्रत्याशियों के बीच मतों का अधिक विभाजन हुआ तो दूसरे वर्ग के मतदाताओं का साथ भी प्रत्याशियों को चुनाव मे जीत के लिए हासिल करना होगा।

भाजपा के लिए भी चुनौती

महापौर की सीट पर भाजपा ने सामान्य वर्ग से वैश्य समाज की सुनीता दयाल को प्रत्याशी बनाया है। सामान्य वर्ग के मतदाताओं पर भाजपा की पकड़ मजबूत मानी जाती है। सामान्य वर्ग से ही इस सीट पर कांग्रेस ने पुष्पा रावत, आम आदमी पार्टी ने जानकी बिष्ट, सुभाषवादी पार्टी ने प्रिया गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है। नीतू त्यागी भी सामान्य वर्ग से निर्दलीय उम्मीदवार हैं।

इस सीट पर सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या 6.10 लाख के करीब है, ऐसे में देखना यह है कि भाजपा के पक्ष में कितने वोट आते हैं? वोटों का बंटवारा सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों के बीच अधिक हुआ तो भाजपा को चुनाव जीतने के लिए ओबीसी और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का भी बड़ी संख्या में साथ चाहिए होगा।


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