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दिल्ली से सटे यूपी में इंसानियत की मिसाल, हिंदू-मुस्लिम परिवार मिलकर बचाएंगे 2 लोगों की जिंदगी

गाजियाबाद में दोनों समुदाय के दो परिवार एक दूसरे की जान बचाने में जुटे हैं। दोनों परिवारों के सदस्य एक दूसरे को किडनी डोनेट करके उनकी जान बचा रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 08:31 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 05:43 PM (IST)
दिल्ली से सटे यूपी में इंसानियत की मिसाल, हिंदू-मुस्लिम परिवार मिलकर बचाएंगे 2 लोगों की जिंदगी
दिल्ली से सटे यूपी में इंसानियत की मिसाल, हिंदू-मुस्लिम परिवार मिलकर बचाएंगे 2 लोगों की जिंदगी

गाजियाबाद [जागरण संवाददाता]। सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर दिल्ली में दो समुदाय आमने-सामने हैं और एक दूसरे को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं, गाजियाबाद में दोनों समुदाय के दो परिवार एक दूसरे की जान बचाने में जुटे हैं। दोनों परिवारों के सदस्य एक दूसरे को किडनी डोनेट करके उनकी जान बचा रहे हैं। बुधवार को दोनों परिवारों की ओर से इस संबंध में आवेदन किया गया। सीएमओ ने बताया कि दोनों की कागजातों की जांच के बाद किडनी डोनेट की अनुमति दे दी गई है।

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मुजफ्फरनगर में रहने वाले रोहित वत्स (34) डायबिटीज के मरीज हैं, जिसके चलते लगभग सात साल पहले उनकी किडनी खराब हो गई। रोहित की लगातार डायलिसिस चल रही है। डॉक्टर ने उन्हें किडनी ट्रांस्प्लांट की सलाह दी थी। इसके लिए उनके पिता राजेंद्र कुमार अपनी किडनी डोनेट करने के लिए तैयार थे लेकिन, ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने के कारण ट्रांस्प्लांट नहीं हो सका। जिसके चलते रोहित जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे थे।

वहीं, हापुड़ में रहने वाले नूर हसन (25) की हाई ब्लड प्रेशर के चलते किडनी डैमेज हो गई थी। उन्हें भी डॉक्टर ने ट्रांस्प्लांट की सलाह दी थी। नूर हसन की पत्नी बेबी सोफिया किडनी देने को तैयारी थीं लेकिन, उनका भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने के चलते ट्रांस्प्लांट नहीं हो सका।

सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता ने बताया कि कुछ समय पहले दोनों ने वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल में उपचार शुरु करवाया। जहां उनके लिए डोनर की तलाश की जा रही थी। दोनों का ट्रीटमेंट करने वाले नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स ने जब उनकी जांच को तो पता चला कि नूर हसन का ब्लड ग्रुप राजेंद्र कुमार से मैच करता है और रोहित वत्स का ब्लड ग्रुप बेबी सोफिया से मैच करता है। इस पर डॉक्टर्स के पैनल ने दोनों परिवारों की काउंसलिंग की और बताया कि आप दोनों एक दूसरे को किडनी डोनेट कर सकते हैं। इस पर दोनों परिवारों में सहमती बन गई। दोनों की ओर से गुरुवार को मानव अंग प्रत्यारोपण समिति के सामने आवेदन किया गया। डीएम की अध्यक्षता में समिति ने दोनों के कागजातों की जांच की और सबकुछ सही पाए जाने पर उन्हें डोनेशन और प्रत्यारोपण की अनुमित दे दी गई।


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