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Ghaziabad: नहीं हो रही थी जमीन की पैमाइश, नाराज किसान ने काटी हाथ की नस; मौत

संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत लेकर पहुंचे बुजुर्ग किसान ने शनिवार को हाथ की नस काट ली। लेखपाल पर किसान ने जमीन की सही पैमाइश न करने का आरोप लगाया। आनन-फानन में किसान को सीएचसी अस्पताल ले जाया गया।

By Anil TyagiEdited By: GeetarjunPublished: Sat, 01 Apr 2023 07:14 PM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2023 07:14 PM (IST)
Ghaziabad: नहीं हो रही थी जमीन की पैमाइश, नाराज किसान ने काटी हाथ की नस; मौत
नहीं हो रही थी जमीन की पैमाइश, नाराज किसान ने काटी हाथ की नस; मौत

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत लेकर पहुंचे बुजुर्ग किसान ने शनिवार को हाथ की नस काट ली। लेखपाल पर किसान ने जमीन की सही पैमाइश न करने का आरोप लगाया। आनन-फानन में किसान को सीएचसी अस्पताल ले जाया गया। जहां से उनको मेरठ रेफर कर दिया गया। लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई।

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चिकित्सकों ने बुजुर्ग की मौत हार्ट फेलियर से होना बताई है। मूलरूप से डिडौली गांव निवासी सुशील त्यागी मुजफ्फरनगर की इंदिरापुरी कालोनी में रहते थे। उनकी डिडौली गांव में आबादी से सटी जमीन है। जमीन पर आसपास के कुछ एक लोगों ने कब्जा कर लिया था।

जमीन को कब्जामुक्त कराने की चल रही थी बात

उन्होंने जमीन को बेचने के लिए किसी से सौदा भी कर लिया था। जानकारी के मुताबिक खरीदार सुशील त्यागी से जमीन को कब्जामुक्त कराने को कह रहा था। जमीन कब्जामुक्त न होने पर उसने पेशगी में दिए रुपये लौटाने की बात कह दी थी।

तभी से सुशील तहसील में जमीन की पैमाइश कराकर कब्जामुक्ति की मांग कर रहे थे। शनिवार को वे फिर तहसील पहुंच गए और अधिकारियों को शिकायत देकर जमीन को कब्जामुकत कराने की मांग की। उन्होंने लेखपाल पर कब्जेदारों से मिलीभगत का आरोप लगाया।

अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के लगाए आरोप

नाराज किसान ने अधिकारियों पर भ्रष्टाचारी के आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया और अपने हाथ की नस काट ली। खून बहता देख आनन-फानन में सीएचसी के चिकित्सक किसान को लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां से उनको मेरठ के मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल पहुंचने से पहले ही किसान ने दम तोड़ दिया।

इसकी जानकारी मिलते ही तहसील में हड़कंप मच गया। एसडीएम शुभांगी शुक्ला ने बताया कि किसान की शिकायत पर मौके पर राजस्व विभाग की टीम को भेजा गया था, नापतौल भी कराई गई थी। लेकिन जिन लोगों पर आरोप लगाया गया था।

उनका पक्ष सुनकर ही किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा जमीन करीब 30-40 साल से ऐसे ही पड़ी हुई है। इसलिए मामले को न्यायालय में योजित करने के लिए किसान को कहा गया था।


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