ग्लेशियर फटने से गंगा किनारे अलर्ट घोषित, टापू पर बसे गंगानगर में विशेष सतर्कता की हिदायत
गांवों में पहुंचकर अधिकारियों में चौकस रहने की अपील की गंगा किनारे बसे गांवों में कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा। उत्तराखंड के चमोली जनपद के गांव रैनी में रविवार की सुबह ग्लेशियर फटने से बर्फ की सुनामी जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है।
प्रिंस शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जनपद के गांव रैनी में रविवार की सुबह ग्लेशियर फटने से बर्फ की सुनामी जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिससे धौली समेत अलकनंदा नदी के जलस्तर में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी होने से बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए है। ग्लेशियर फटने से गंगा नदी के जलस्तर में होने वाली बढ़ोतरी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में भी गंगा से जुड़े स्थानों पर अलर्ट घोषित कर दिया गया है। जिसके चलते गढ़ खादर में गंगा के तटवर्ती क्षेत्र से जुड़े करीब डेढ़ दर्जन गांवों में लोगों को पूरी तरह सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
एसडीएम विजय वर्धन तोमर, तहसीलदार विवेक भदौरिया, सीओ पवन कुमार, कोतवाल शीलेष कुमार आनन फानन में गंगा की तलहटी में बसे गांवों में पहुंच गए, जिन्होंने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से हुई घटना के विषय में जानकारी देकर लोगों को जागरूक कर पूरी तरह सर्तक रहने की हिदायत दी, जबकि गंगा किनारे से महज थोड़ी दूरी पर झोपड़ी डालकर रहने वाले कई परिवारों को वहां से हटवाकर सुरक्षित स्थानों पर भिजवाया गया है।
ब्रजघाट गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी होने की संभावना को देखते हुए फिलहाल नावों के संचालन पर रोक लगाकर गंगा किनारे रखे तीर्थ पुरोहित और फूल प्रसाद बेचने वालों के तख्त हटवाकर जलधारा के बीच रेतीले टापू पर बने अस्थाई स्नानघाटों को भी खाली करवा दिया गया है। इसके अलावा गंगा की जलधारा के बीच रेतीले टापू पर बसे बंगाली समुदाय के गांव प्रेमनगर और गंगानगर में रहने वाले सौ से अधिक परिवारों को तत्काल गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का कड़ा निर्देश दिया गया है।
एसडीएम विजय वर्धन तोमर ने बताया कि उत्तराखंड के चमोली में हुई ग्लेशियर फटने की घटना को लेकर प्रदेश शासन के दिशा निर्देश के आधार पर गंगा किनारे अलर्ट घोषित करते हुए तटवर्ती क्षेत्र में बसे गांवों में मुनादी कराने के साथ ही ग्रामीणों को पूरी तरह चौकस रहने की हिदायत दी गई है, जबकि कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भी भिजवाया गया है। तहसील प्रशासन द्वारा बरसात के सीजन में स्थापित कराई जाने वाली बाढ़ राहत चौकियों को पूरी तरह सतर्क रहने का अल्टीमेटम किया गया है।
तहसीलदार और लेखपालों समेत राजस्व कर्मियों को हालात पर पैनी नजर रखकर स्थिति की जानकारी मुहैया कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बाढ़ नियंत्रण आयोग और केंद्रीय जल निगम के माध्यम से गंगा नदी के जलस्तर की प्रतिघंटा मानिटरिंग कराकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भिजवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि अगर जलस्तर में अधिक बढ़ोतरी होती है तो फिर गंगा किनारे वाले गांवों को खाली करा दिया जाएगा, जिसको लेकर प्रशासनिक स्तर से सभी तैयारी पूरी कर ली गई है।
गंगा किनारे वाले जंगल में पशुओं को चराने पर भी एहतियाती तौर पर रोक लगा दी गई है। तहसील मुख्यालय में दोपहर बाद आपातकालीन बैठक बुलाई गई है, जिसमें संभावित हालात से निपटने को लेकर व्यापक रणनीति तैयार कर उसका क्रियान्वन कराया जाएगा। इसके अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी भी गंगा खादर क्षेत्र से जुड़े गांवों का दौरा करने आ रहे हैं, जिनके दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन होगा। बाढ़ नियंत्रण आयोग के सूत्रों की मानें तो चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना होने से गढ़-ब्रजघाट गंगा में चार लाख क्यूसिक पानी के आने की संभावना है, हालांकि फिलहाल सब कुछ अनुमान पर आधारित है।