त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांवों की नई बदलती तस्वीर आई सामने, पढ़िए अन्य खास बातें
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांवों की बदलती नई तस्वीर सामने आई है। प्रधान चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के प्रत्याशी अनारक्षित 59 सीटों में भी 29 जीतने में सफल रहे हैं। इनमें 9 महिलाएं भी शामिल हैं। सामान्य वर्ग की सिर्फ 5 महिलाएं ही कामयाब हो पाईं।
गाजियाबाद, [अभिषेक सिंह]। हाल में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांवों की बदलती नई तस्वीर सामने आई है। प्रधान चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के प्रत्याशी अनारक्षित 59 सीटों में भी 29 जीतने में सफल रहे हैं। इनमें 9 महिलाएं भी शामिल हैं। सामान्य वर्ग की सिर्फ 5 महिलाएं ही कामयाब हो पाईं। हैरतअंगेज रूप से अनारक्षित 5 सीटों पर अनुसूचित जाति के प्रत्याशी जीत हासिल करने में सफल रहें। गांवों में अन्य पिछड़ वर्ग के लोग सामान्य वर्ग से ज्यादा प्रभावशाली के तौर पर सामने आ रहे हैं। इस बदलाव की वजह दूसरे वर्ग के लोगों का अपने अधिकार के प्रति जागरूक होना और विकास के पथ पर कदम बढ़ाना है।
खासतौर पर बदलाव गांवों में पिछड़ा वर्ग की महिलाओं की स्थिति में हुआ है। इन महिलाओं ने तय आरक्षित सीटों से ज्यादा पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इन महिलाओं के सामने सामान्य वर्ग के पुरुष हों या महिलाएं अपनी सीटों को नहीं बचा सके।
विकास खंड भोजपुर वर्ग कुल पद निर्वाचित अनूसूचित जाति महिला 4 5अनुसूचित जाति 8 9पिछड़ा वर्ग महिला 4 9पिछड़ा वर्ग 8 11महिला 8 6 अनारक्षित 15 7 विकास खंड मुरादनगर वर्ग कुल पद निर्वाचित अनूसूचित जाति महिला 3 3अनुसूचित जाति 6 8पिछड़ा वर्ग महिला 4 11पिछड़ा वर्ग 8 10महिला 9 7अनारक्षित 18 9विकास खंड रजापुर वर्ग कुल पद निर्वाचित अनूसूचित जाति महिला 2 3अनुसूचित जाति 3 3पिछड़ा वर्ग महिला 3 7पिछड़ा वर्ग 6 11महिला 7 4अनारक्षित 13 6विकास खंड लोनी वर्ग कुल पद निर्वाचित अनूसूचित जाति महिला 2 2अनुसूचित जाति 3 3पिछड़ा वर्ग महिला 3 9पिछड़ा वर्ग 6 12महिला 6 3अनारक्षित 13 3कुल योग वर्ग कुल पद निर्वाचित अनूसूचित जाति महिला 11 13अनुसूचित जाति 20 23पिछड़ा वर्ग महिला 14 36पिछड़ा वर्ग 27 44महिला 30 20अनारक्षित 59 25 अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला होने के बावजूद मैंने अनारक्षित वर्ग की सीट पर चुना लड़कर जीत हासिल की है। इसके लिए स्थानीय मुद्दों के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया गया। गांव में लोगों की मदद के लिए पहले भी कार्य किया है, यही वजह है कि जनता ने वोट देकर मुझे प्रधान चुना है।
अनारक्षित वर्ग की सीट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल करना अन्य वर्ग के लिए आसान नहीं होता लेकिन ग्रामीणों की मदद के लिए पूर्व में हमारे द्वारा किए गए कार्य के कारण जनता ने मुझे प्रधान चुना है। जबकि मैं अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला हूं। गांव में हर बुनियादी समस्या का समाधान कराना मेरी प्राथमिकता होगी। - रेनू, प्रधान, कादराबाद।
प्रदेश में पंचायत चुनावों में पिछड़ी जातियों को मिले अवसर पिछले पूरे दशक में भारतीय समाज का तीव्र राजनीतीकरण का यह नतीजा है। इस कमजोर तबके में भी अपना राजनीतिक स्पेस बनाने की ललक जगी है और उनको लोकतांत्रिक वातावरण में चुनाव लडने का साहस भी। जिसके चलते इस पंचायत चुनाव में अनारक्षित सीटों पर भी बड़ी संख्या में पिछड़ी जाति और दलित उम्मीदवार चुनाव जीते है। डा राकेश राणा, समाज शास्त्री
अपर जिला पंचायत राज अधिकारी का बयान
पंचायत चुनाव में महिला वर्ग के लिए आरक्षित 30 सीटों में से 10 सीटों पर आरक्षित वर्ग की महिलाओं ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की। अनारक्षित वर्ग की 59 सीटों पर आरक्षित वर्ग 34सीटों पर जीत हासिल की । इसमें 29 अन्य पिछड़ा वर्ग और 5 अनुसूचित जाति के हैं। जबकि सामान्य वर्ग के लोग महज 25 सीटों पर ही जीत हासिल कर सके। इसका साफ संदेश है कि गांवों में अन्य वर्ग की स्थिति में सुधार तेजी से हुआ है। दूसरे वर्ग के लोग भी प्रभावशाली बन रहे हैं, उनका जनाधार बढ़ रहा है। चक्रानुक्रम के माध्यम से आरक्षण तय किए जाने का भी फायदा भी मिला है। कई ग्राम पंचायतें ऐसी थीं, जिनमें अनारक्षित वर्ग के वोट की अपेक्ष दूसरे वर्ग के वोट ज्यादा थे।
- मनोज त्यागी, अपर जिला पंचायत राज अधिकारी।