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पितृ पक्ष खत्म होते ही शुरू होगा अधिकमास, अगले महीने होंगे नवरात्र

संवाद सहयोगी मोदीनगर प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के समापन से अगले ही दिन शारदीय नवरात्र शुरू हो

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 06:01 PM (IST)
पितृ पक्ष खत्म होते ही शुरू होगा अधिकमास, अगले महीने होंगे नवरात्र
पितृ पक्ष खत्म होते ही शुरू होगा अधिकमास, अगले महीने होंगे नवरात्र

संवाद सहयोगी, मोदीनगर :

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प्रत्येक वर्ष पितृ पक्ष के समापन से अगले ही दिन शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं। लेकिन, इस साल ऐसा नहीं होगा। इस बार पितृ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। जिस वजह से नवरात्र और पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर बढ़ जाएगा। अगले माह 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू होंगे। जिसके चलते आगे के त्योहार दशहरा, अहोई, दीवाली आदि भी देरी से होंगे। 17 सितंबर यानि आज अमावस्या को आखिरी श्राद्ध है। जिसके बाद कल से अधिकमास शुरू होगा। जो अगले माह 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसी के चलते इस बार शारदीय नवरात्र एक महीने की देरी से आएंगे। हर साल अधिकमास नहीं होता था। जिसके चलते पितृ पक्ष के अगले ही दिन से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते थे।

इस बारे में ज्योतिष ज्ञानपीठ की चेयरपर्सन डॉ. सोनिका जैन बताती हैं कि हर बार चातुर्मास चार महीने का होता है। लेकिन, इस बार यह पांच महीने का होगा। कई वर्षो बाद लीप ईयर और अधिकमास एक ही साल में आए हैं। इसी वजह से शारदीय नवरात्र एक महीने के लिए बढ़ गए हैं। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। ऐसा संयोग 165 साल बाद बन रहा है। उन्होंने बताया कि चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ,व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। वहीं, ज्योतिषाचार्य बताती हैं कि पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह का अधिकमास होगा। यानी दो आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं। क्या होता है अधिकमास

डॉ. सोनिका जैन ने बताया कि एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षो के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एकचंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिसे अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है। अधिकमास को कुछ स्थानों पर मलमास भी कहते हैं।


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