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समाज को नया संदेश देती है कहानी : राज नारायण शुक्ला

जागरण संवाददाता गाजियाबाद राजभाषा संस्थान उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रोफेसर राजनारायण शुक्ला ने कहा कि मौजूदा दौर की कहानी महानगरीय विडंबनाओं का प्रतिबिब है। कहानियां जितने डरावने रूप में हमारे सामने आ रही है असल में जिदगी उससे भी कहीं अधिक भयावह है। रविवार को मीडिया-360 लिट्रेरी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कथा संवाद में की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि कहानी ही समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाकर समाज में नया संदेश देती हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 10:30 PM (IST)
समाज को नया संदेश देती है कहानी : राज नारायण शुक्ला
समाज को नया संदेश देती है कहानी : राज नारायण शुक्ला

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: राजभाषा संस्थान उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रोफेसर राजनारायण शुक्ला ने कहा कि मौजूदा दौर की कहानी महानगरीय विडंबनाओं का प्रतिबिब है। कहानियां जितने डरावने रूप में हमारे सामने आ रही है, असल में जिदगी उससे भी कहीं अधिक भयावह है। रविवार को मीडिया-360 लिट्रेरी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कथा संवाद में की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि कहानी ही समाज के ज्वलंत मुद्दों को उठाकर समाज में नया संदेश देती हैं।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार प्रताप सोमवंशी ने कहा कि संवाद में सुनी गईं तमाम कहानियां इस बात की घोषणा करती हैं कि स्त्री विमर्श की आवश्यकता अभी खत्म नहीं हुई है। इस बात पर ऐतराज हो सकता है कि संवाद में सुनाई गई कहानियां स्त्री देह के इर्द-गिर्द घूमती रहीं, लेकिन हम इस बात से इन्कार नहीं कर सकते कि स्त्री के विरुद्ध अत्याचार का पुरातन सिलसिला अभी जारी है। होटल रेडबरी में आयोजित कथा संवाद को संबोधित करते हुए प्रख्यात व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने कहा कि वर्तमान दौर के आदमी की जिदगी रामगोपाल वर्मा और बड़जात्या के बीच चल रही स्पर्धा का वास्तविक बयान है।

कथा संवाद में रिकल शर्मा, रश्मि पाठक, मनु लक्ष्मी मिश्रा, शिवराज सिंह, डा.पूनम सिंह, डा.बीना शर्मा व डा. निधि अग्रवाल की कहानियों पर विमर्श हुआ। कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन 'जिया' ने किया। उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार बीएल गौड़, सुभाष चंदर, आलोक पुराणिक और डा.निधि अग्रवाल को मीडिया-360 लिट्रेरी फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया। गोविद गुलशन, सुरेंद्र सिघल, सुभाष अखिल, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, आलोक यात्री, किशोर श्रीवास्तव, वागीश शर्मा, रवींद्र कांत त्यागी, अशोक श्रीवास्तव, तिलक राज अरोड़ा, केके सिघल, भारत भूषण आदि मौजूद थे।


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