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सुडौल शरीर की चाह में ¨जदगी दांव पर

बॉडी बि¨ल्डग के लिए स्टेरॉइड का चलन बढ़ा है, जिसके सेवन से कम वर्कआउट से बॉडी पर जल्द ही बेहतर असर दिखता है। लेकिन इसका ज्?यादा इस्तेमाल हार्मोंस में गड़बड़ी के साथ ही हार्ट, किडनी और लीवर पर बुरा असर ड़ालता है। एक्सपर्ट की माने तो स्?टेरॉइड से सबसे ज्यादा पांच हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं, जिससे इंसान अपनी जान तक से हाथ धो बैठता है। यही वजह है कि कभी कोई चिकित्सक इसे लेने की सलाह नहीं देता।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:17 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 07:17 PM (IST)
सुडौल शरीर की चाह में ¨जदगी दांव पर
सुडौल शरीर की चाह में ¨जदगी दांव पर

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : बॉडी बि¨ल्डग के लिए स्टेरॉयड का चलन बढ़ा है, जिसके सेवन से कम वर्कआउट से बॉडी पर जल्द ही बेहतर असर दिखता है, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल हार्मोंस में गड़बड़ी के साथ ही हार्ट, किडनी और लीवर पर बुरा असर डालता है। जानकारों की मानें तो स्टेरॉयड से सबसे ज्यादा पांच हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं, जिससे इंसान अपनी जान तक से हाथ धो बैठता है। यही वजह है कि कभी कोई चिकित्सक इसे लेने की सलाह नहीं देता। हार्माेन सिस्टम पर असर : स्टेरॉयड की वजह से हार्मोन्स में परिवर्तन होता है। इससे पुरुषों में की संभावना बढ़ जाती है, जबकि महिलाओं में शरीर के बालों में भारी बढ़ोतरी, मर्दो वाला गंजापन, क्लिट का बड़ा हो जाना, आवाज भारी हो जाना। शारीरिक परिवर्तन : अगर छोटी उम्र में ही स्टेरॉयड ले रहे हैं तो बौनापन की समस्या, स्नायु (टेंडन) का टूट जाना, हड्डियों का भुरभुरा होना, कूल्हों का खत्म हो जाना आदि। दिल पर असर : अच्छे वाले फैट में कमी और शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फैट में बढ़ोतरी, नसों का संकरा हो जाना, दिल का दौरा, दिल के चार हिस्सों में एक जो कि नीचे की ओर बाईं तरफ होता है, उसका आकार बढ़ जाना। लीवर पर नुकसान : विशेषज्ञों की माने तो स्टेरॉयड कैंसर, ट्यूमर, खून से भरी छोटी छोटी गांठें, पीलिया और लिवर का बढ़ जाना जैसी समस्या पैदा करता है। त्वचा रोग : चेहरे पर मुहांसे गांठ, सिर की तैलीय त्चचा, शरीर पर ढेर सारे लाल रंग के दाने निकलना स्टेरॉयड की देन है।

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युवा शार्ट लाइफ समझकर अपना रहे शार्टकट

आज के युवाओं को अंदाजा है कि खान-पान और रहन-सहन खराब होने से ¨जदगी आम तौर पर 50-60 वर्ष तक सिमट गई है। जिम करने वाले युवाओं को बताना चाहूंगा कि स्टेरॉयड, प्रोटीन आदि यह वहां के लिए जरूरी हैं, जहां खानपान की वस्तुओं में विटामिन प्रोटीन आदि न मिलता हो। आजकर स्टेरॉयड ही ज्यादातर जिम संचालकों की कमाई का जरिया है। इससे उनके यहां सीखने के लिए आने वाले युवाओं की सेहत या जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है। बाजार सस्ते और नकली स्टेरॉयड से भरा पड़ा है। बॉडी को वर्क आउट और देसी खान-पान से एक इंच बढ़ाने में आठ माह का समय लगता है, जबकि स्टेरॉयड के इस्तेमाल से डेढ़ से दो माह में बढ़ जाती है। वह सलमान, अक्षय खन्ना, अनिल कुमार समेत बहुत से फिल्मी कलाकारों के ट्रेनर हैं, लेकिन कभी न तो किसी को स्टेरॉयड के लिए कहा और न ही अपने तीस साल के कैरियर में कभी स्टेरॉयड लिया।

- अब्बास अली जुकाजो, फिल्मी स्टार ट्रेनर

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बिना टेस्ट स्टेरॉयड लेना खतरनाक

बहुत से लोग इस पेशे को खराब करने में लगे हैं। वह अपना जिम खोलकर सस्ते स्टेरॉयड की अधिक कीमत वसूलकर युवाओं की ¨जदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। कई बार बेहतर स्टेरॉयड भी अधिकता के कारण शरीर को अंदर ही अंदर नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए बॉडी बि¨ल्डग कर रहे युवाओं को हर ढ़ाई से तीन माह में बॉडी चेकअप कराना जरूरी है। ताकि पता चल सके कि बॉडी में किस पार्ट को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा। इसे लेने से पहले चिकित्सीय सलाह बेहद जरूरी है।

- विपनेश चौधरी, अंतरराष्ट्रीय बॉडी बिल्डर

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बॉडी बिल्डर के लिए स्टेरॉयड एक नशे की तरह हो जाता है। शुरूआत में पांच मिग्रा की डोज बेअसर होने पर डबल कर देते हैं। इसका असर बॉडी पर कम होने के चलते और अधिक डोज बढ़ा दी जाती है। इसके बाद मसल्स लॉस होने की स्थिति में बॉडी बिल्डर अवसाद में जाने लगता है। कसरत में मन नहीं लगता और उसकी डाइट घटने लगती है। उसने जो नाम कमाया उसे खोता देख वह अधिक मात्रा में स्टेरॉयड लेने लगता है, जिसका नुकसान शरीर पर पड़ना स्वभाविक है। आमतौर पर बॉडी बिल्डर को चाहिए कि वह सप्लीमेंट का सेवन ब्लड रिपोर्ट आने के बाद गाइडेंस और ट्रेनर की मॉनिट¨रग में शुरू करें। तीन माह इस्तेमाल के बाद बॉडी चेकअप कराए।

 - सागर चौहान, ट्रेनर व जिम संचालक


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