डूब क्षेत्र में बस रहीं अवैध कालोनियां, खतरे में हरनंदी नदी का अस्तित्व
जागरण संवाददाता साहिबाबाद हरनंदी नदी के किनारे तेजी से कालोनियां बस रही हैं। इससे नदी
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद :
हरनंदी नदी के किनारे तेजी से कालोनियां बस रही हैं। इससे नदी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। बिल्डर प्लाटिग कर लोगों को जमीन बेच रहे हैं। लोगों को विद्युत कनेक्शन नहीं मिलेगा। बिल्डर जनता को लूट रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी व विभाग चुप बैठे हैं। इतना ही नहीं डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण से हादसा हो सकता है। इसका जिम्मेदार कौन होगा। डूब क्षेत्र में हजारों की संख्या में मकान, दुकान, गोदाम, स्कूल व फैक्ट्रियां बनी हुई है। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
हरनंदी नदी का अस्तित्व खतरे में:
आज से सात साल पहले कनावनी में हरनंदी नदी के किनारे खूब हरियाली दिखाई देती थी। अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफियाओं ने यहां प्लाटिग की और अवैध कालोनियां बना दी। अब हजारों की संख्या में तीन से चार मंजिला इमारतें दिखाई देने लगी हैं। शिक्षा बोर्डो से मान्यता लेकर लोग स्कूल संचालित कर रहे हैं। सरकारी तंत्र ने न अवैध निर्माण रोकने के प्रयास किए। न ही अनुमति प्रदान करते वक्त जमीन के भू-उपयोग पर नजर डाली। प्रशासन, जीडीए और सिचाई विभाग के अधिकारियों की आंख के सामने सालों से भूमाफिया जनता को ठग रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अब तक हरनंदी नदी का अस्तित्व भी खतरे में दिखने लगा है।
------- नहीं मिलता बिजली कनेक्शन : डूब क्षेत्र में बने मकानों को विद्युत निगम बिजली कनेक्शन नहीं देता है। कनावनी में रहने वाले हजारों लोगों ने खून-पसीने की कमाई से घर तो ले लिया लेकिन अब बिजली कनेक्शन के लिए परेशान हैं। बिजली कनेक्शन के नाम पर एक भूमाफिया ने लोगों से रुपये भी ले लिए लेकिन आज तक लोगों के घरों में बिजली नहीं आई।
इन स्थानों पर है डूब क्षेत्र :
अर्थला, करहैड़ा, कनावनी, अकबरपुर-बहरामपुर, सद्दीकनगर, नूरनगर, मोरटी, मेवला अगरी, असालतपुर, अटौर, फिरोज, मोहनपुर, शमशेर, मोइउद्दीनपुर आदि डूब क्षेत्रों में सात हजार से अधिक अवैध निर्माण हैं। अवैध निर्माण के ये आंकड़े डूब क्षेत्र की हकीकत बयां कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार विभाग मौन है। -------
कोट :
पिछले महीने डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण को सील किया गया था। यदि दोबारा निर्माण या प्लाटिग हो रही है, तो जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
- सुशील कुमार चौबे, विशेष कार्य अधिकारी, जीडीए।