आंदोलन करते हुए पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद कसम राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे रामलला हम आएंगे हम म
आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद :
कसम राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे, रामलला हम आएंगे हम मंदिर वहीं बनाएंगे, इन नारों के उद्घोष के साथ घंटाघर पर आंदोलन कर रहे चार बार के सांसद रहे रमेश चंद तोमर को 13 अक्टूबर 1990 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। राम मंदिर आंदोलन से रमेश चंद तोमर शुरुआती दौर में ही जुड़ गए थे। इस आंदोलन में शिला पूजन, राम जानकी रथ यात्रा से लेकर सभी आयोजनों में रमेश चंद तोमर ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वह 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस में भी अयोध्या में रहे। अब कई दशक बाद राम मंदिर का सपना पूरा होते हुए देखकर वह भावुक हो जाते हैं। रमेश चंद तोमर का कहना है कि भूमि पूजन का यह वह पल होगा जिसे उनके साथ उनकी कई पीढि़यां कभी नहीं भूल पाएंगी। उन्हें गर्व है कि वह राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे और अब अपने जीते-जी राम मंदिर निर्माण का सपना पूरा होते हुए देख रहे हैं।
वर्ष 1986 में जब कुंभ से राम मंदिर निर्माण की गूंज उठी थी तब रमेश चंद तोमर भाजपा के गाजियाबाद के जिलाध्यक्ष थे। उस समय हापुड़ व गौतमबुद्ध नगर भी जिले का ही हिस्सा थे। उन्होंने गांव-गांव, शहर-शहर जाकर मंदिर निर्माण के लिए प्रचार-प्रसार किया और लोगों को इस आंदोलन के साथ जोड़ना शुरू किया। जब वर्ष 1990 में कार सेवा शुरू हुई तो उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर तमाम आंदोलन किए। 13 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और एक अस्थायी जेल में ले जाया गया। यहां उन्होंने विरोध-प्रदर्शन किया तो उन्हें सहारनपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। सहारनपुर जेल में भी तोमर ने कारसेवकों की सुविधाओं के लिए आंदोलन किए और कारसेवकों को उनका हक दिलाया।
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जेल में था उत्साह का माहौल
रमेश चंद तोमर बताते हैं कि वह करीब 25 दिन सहारनपुर जेल में रहे। इस दौरान जेल में उत्साह का माहौल था। हजारों की संख्या में कारसेवक जेल में भी मंदिर निर्माण को लेकर नारेबाजी करते थे। कसम राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे, राम लला हम आएंगे हम मंदिर वहीं बनाएंगे के उद्घोष से पूरी जेल गूंज उठती थी। जेल में संकीर्तन, कवि सम्मेलन, गोष्ठी व अन्य आयोजनों के माध्यम से कारसेवक राम मंदिर बनाने का संकल्प लेते थे।
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कारसेवकों की अस्थियों को लेकर घूमे पूरे जिले में
रमेश चंद तोमर ने बताया कि वर्ष 1989 में जब अयोध्या में गोली कांड हुआ और कोठारी बंधू समेत कई कारसेवकों की जान गई तो उनकी अस्थि यात्रा को उनके नेतृत्व में पूरे जिले में घुमाया गया। वह गांव-गांव और शहर-शहर अस्थियों को लेकर पहुंचे और कारसेवकों के बलिदान से लोगों को अवगत कराया। इस यात्रा के माध्यम से रमेश चंद तोमर ने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर लोगों में राम मंदिर की अलख जगाई। इसका ही परिणाम रहा है कि धीरे-धीरे बड़ा कारवां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ता चला गया।