चुनावी रैली-यात्रा पर पाबंदी से मुरझाया फूल कारोबार
शाहनवाज अली गाजियाबाद फूल कारोबार विवाह समारोहों पर लागू बंदिशों के चलते पहले से ही
शाहनवाज अली, गाजियाबाद
फूल कारोबार विवाह समारोहों पर लागू बंदिशों के चलते पहले से ही बुरे दौर से गुजर रहा है। वहीं, कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने चुनावी रैली, नुक्कड़ सभा और यात्राओं पर रोक लगा दी। इससे चुनावी मौसम में फलने-फूलने वाला यह फूल कारोबार मुरझा गया है।
विधानसभा चुनाव का मौसम है और आयोग ने चुनावी जनसभा और जुलूसों पर रोक लगा दी है। संक्रमण की वजह से लगी रोक के कारण विगत चुनाव की अपेक्षा अब हर दिन गुलाब और गेंदा के फूलों की बिक्री में 70 से 80 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की जा रही है। जिले की सभी पांचों विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी को मतदान होगा। इससे दो दिन पूर्व यानी आठ फरवरी की शाम चुनाव प्रचार पूरी तरह थम जाएगा। शहर के रेलवे रोड स्थित फूल मार्केट में कारोबारी ग्राहकों के इंतजार में ही बैठे दिखाई दिए। उनके पास अब 10 से 40 रुपये तक की मालाएं, जयमाला के अलावा बुके बने दिखाई दिए। बहुत सी दुकानों पर फूल न बिकने की वजह से मुरझाए एक तरफ पड़े भी नजर आए।
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अफसोस नेताजी की माला की नहीं है मांग
फूल कारोबार से जुड़े लोगों का इस चुनाव में सबसे ज्यादा अफसोस इसी बात का है कि नेताजी की माला से मशहूर 12 से 24 फुट तक बनने वाली मालाओं की इस बार किसी ने डिमांड नहीं की। यह मालाएं डेढ़ हजार से पांच हजार रुपये तक में बनती थी। इससे फूल कारोबारियों को मुनाफा होने के साथ चुनावी ग्राहक बनते थे।
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सजावट के लिए नहीं हो रही बिक्री
इन दिनों शादी-विवाह समारोह तो हो रहे हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से बैंक्वट हाल बुक नहीं किए जा रहे। यही वजह है कि सजावट में लगने वाले फूलों की मांग नहीं रही। अब सिर्फ शादी-विवाह में जय माला और कुछ लोग सेहरे के लिए साधारण माला ही खरीद रहे हैं।
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पिछले करीब 25 साल से फूल कारोबार से जुड़े हैं। पंचायत से लेकर निगम, विधानसभा और लोकसभा के चुनाव देखें हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनाव का काम पिछले चुनाव के मुकाबले 10 प्रतिशत भी नहीं है।
- अनिल शर्मा, फूल कारोबारी
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पिछले करीब 30 साल से भी अधिक समय से हमारा परिवार फूलों का कारोबार करता है। चुनाव होने में कम समय बचा है, लेकिन अभी तक किसी भी उम्मीदवार की ओर से आर्डर नहीं है। पिछले चुनाव में अच्छी खासी बिक्री हुई थी।
- दीपक, फूल कारोबारी