गाड़ी की डिग्गी में खिला कारोबार का फूल
खुशी का माहौल हो गम का मातम। जीहां फूल ही हैं जो हर माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। शहर के चौधरी मोड के फुटपाथ पर करीब तीन दशक से फूलों की मार्केट को नगर निगम ने हटा दिया है। फुटपाथ की पटरी से उजड़कर फूल बिक्री के लिए अब कुछ गाड़ियों की डिग्गी में गुलजार हो रहे हैं। जरूरत पड़ने पर लोगों को फूलों की दुकान तलाश करना पड़ रहा है। पिछले करीब तीन दशक से चौधरी मोड के फुटपाथ पर गुलजार फूलों की मार्केट अब लोगों को
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : खुशी का माहौल हो गम का मातम। फूल ही हैं जो हर माहौल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। शहर के चौधरी मोड़ के फुटपाथ पर करीब तीन दशक से फूलों की मार्केट को नगर निगम ने हटा दिया है। जरूरत पड़ने पर लोगों को फूलों की दुकान तलाश करना पड़ रहा है।
पिछले करीब तीन दशक से चौधरी मोड़ के फुटपाथ पर गुलजार फूलों की मार्केट अब लोगों को ढूंढे नहीं मिल रही है। शहर के लोग शादी-विवाह, गाड़ियों की सजावट, जन्मदिन पार्टी के लिए बुके एवं शवयात्रा के लिए भी फूलों को लोग तलाश रहे हैं। यहां करीब दो दर्जन से अधिक फूलों की दुकानें नगर निगम ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत हटा दी। हालांकि, इक्का-दुक्का दुकानदारों ने पुरानी गाड़ियों की डिग्गी में फूल भरकर बेचना शुरू कर दिया है। गाड़ियों में फूलों की दुकानदारी भी ज्यादा देर तक नहीं चल पाई और पता चलने पर ट्रैफिक पुलिस ने सड़क किनारे खड़ी उन गाड़ियों को वहां से हटवा दिया। अब पूरे शहर में घूम कर ये गाड़ियां फूलों की बिक्री कर रही हैं। फूलों की दुकानों पर खरीदारी के लिए आए लोगों को दुकानें नहीं मिलीं तो वह फूल खरीदने के लिए तलाशते नजर आए।
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अनाज व फल मंडी की तरह फूल मंडी जरूरी
फूल मार्केट के अध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा का कहना है कि यहां पिछले 30 से 35 सालों से फूलों का कारोबार होता रहा है। दिल्ली फूल मंडी के अलावा हापुड, मोदीनगर, मुरादनगर और मेरठ के खेतों से फूल यहां पहुंचता था, लेकिन शहर के अलावा आसपास के इलाकों में जरूरत के हिसाब से लोग ले जाते थे। यहीं के फूलों का धार्मिक कार्यक्रम, शादी, जन्मदिन समेत अन्य मौके पर इस्तेमाल किए जाते थे। शहर में अनाज मंडी और फल मंडी है हमारी प्रशासन से मांग है कि यहां फूल मंडी भी होनी चाहिए।
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फूल कारोबारियों के सामने रोजी का संकट
फूल कारोबारी प्रवीन सैनी, अनिल शर्मा व अनित कुमार आदि का कहना है कि दुकानें उजड़ गई है। इससे पहले हम लोगों की मांग थी कि फूल कारोबारियों के लिए कोई ऐसी जगह निर्धारित करनी चाहिए, जिसमें वह कम किराये पर अपना कारोबार चला सकें। अब कोई दुकान न होने से उनके सामने रोजी का संकट खड़ा हो गया है।