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बेटे ने कब्जाई फैक्ट्री, हेड कांन्स्टेबल ने धमकाकर भगाया

फायर स्टेशन कोतवाली में तैनात हेड कॉन्स्टेबल(लीडिग फायरमैन) के बेटे पर उसके दोस्त ने फैक्ट्री कब्जाने का आरोप लगाया है। पीड़ित के फर्जी साइन कर उन्हें फैक्ट्री से निकाल दिया। पैसे मांगने पर हेड कॉन्स्टेबल ने धमकी देकर भगा दिया। थाना पुलिस व उच्च अधिकारियों ने गुहार नहीं सुनी तो पीड़ित ने कोर्ट में याचिका डाली जिस पर सिहानी गेट पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। सिहानी गेट थाना प्रभारी संजय पांडे ने बताया कि हेड कॉन्स्टेबल रामेश्वर यादव उसके बेटे ललित यादव और दूसरे पार्टनर चंद्रमोहन कौशिक के खिलाफ धोखाधड़ी फर्जी दस्तावेज तैयार करने और धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 07:43 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 07:43 PM (IST)
बेटे ने कब्जाई फैक्ट्री, हेड कांन्स्टेबल ने धमकाकर भगाया
बेटे ने कब्जाई फैक्ट्री, हेड कांन्स्टेबल ने धमकाकर भगाया

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : फायर स्टेशन कोतवाली में तैनात हेड कांस्टेबल(लीडिग फायरमैन) के बेटे पर उसके दोस्त ने फैक्ट्री कब्जाने का आरोप लगाया है। पीड़ित के फर्जी साइन कर उन्हें फैक्ट्री से निकाल दिया। पैसे मांगने पर हेड कांस्टेबल ने धमकी देकर भगा दिया। थाना पुलिस व उच्च अधिकारियों ने गुहार नहीं सुनी तो पीड़ित ने कोर्ट में याचिका डाली, जिस पर सिहानी गेट पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। सिहानी गेट थाना प्रभारी संजय पांडे ने बताया कि हेड कांस्टेबल रामेश्वर यादव, उसके बेटे ललित यादव और दूसरे पार्टनर चंद्रमोहन कौशिक के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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विजयनगर के सेक्टर-11 शहवाज सैफी ने बताया कि बोंझा निवासी ललित यादव और चंद्रमोहन कौशिक से कुछ साल पहले नोएडा की एक कंपनी में जॉब के दौरान दोस्ती हुई थी। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर चार लाख की लागत से सद्दीक नगर सिहानी में एक फैक्ट्री लगाई। इसमें वह इलेक्ट्रिकल बोर्ड के पैनल बनाना शुरू किया। मई-2017 में ललित व चंद्रमोहन उनसे मिले और कहा कि फैक्ट्री में कुछ रुपये और लगाएं तो बढि़या मुनाफा होगा। दोनों ने करीब नौ लाख रुपये फैक्ट्री में लगाए। जून-2017 में ललित ने फैक्ट्री का रजिस्ट्रेशन अपने नाम से करा लिया। पता चलने पर उन्होंने विरोध किया तो फर्जी शेयर सर्टिफिकेट बनवाकर पीड़ित की महज 24 फीसद की पार्टनरशिप तय कर दी। 30 अक्टूबर 2018 को वह फैक्ट्री पहुंचे तो उन्हें बाहर निकालकर कहा कि तुमने खुद ही हस्ताक्षर करके दिया है कि फैक्ट्री से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है।

पीड़ित परिजनों को लेकर चार जनवरी 2019 को फैक्ट्री गया तो चार लाख रुपये वापस देने का आश्वासन दिया। नौ जनवरी को वह पैसे लेने गए तो वहां ललित के पिता रामेश्वर यादव अपनी वर्दी में वहां पहले से मौजूद था। आरोप है कि रामेश्वर ने धमकी देकर कहा कि वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। पुलिस कुछ नहीं करेगी। पैसे दुबारा मांगने पर अंजाम भुगतने की धमकी देकर भगा दिया। रामेश्वर यादव का कहना है कि फैक्ट्री पर गुंडों के साथ हमला किया गया था। मामला पहले से ही कोर्ट में चल रहा है। सीओ सिटी सेकेंड आतिश कुमार सिंह ने बताया कि मामले में रिपोर्ट दर्ज कर साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है। इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।


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