नशे का विनाश करेगी डीएनएन योजना, संवरेगी मासूमों की जिदगी
नशे की लत के आदि बन रहे मासूमों का जीवन बचाने के लिए गाजियाबाद जिला प्रशासन ने एक अच्छी पहल की है। जिलाधिकारी ने जिला स्तर पर जिला नशा नाश योजना (डीएनएनवाई) बनाई है। इस योजना के तहत सड़कों व गलियों में नशा करने वाले अनाथ व बेसहारा बच्चों को चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद उन बच्चों को उपचार कराया जाएगा जिससे वह नशे की लत को छोड़ दें।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : नशे की लत में जकड़े मासूमों का जीवन बचाने के लिए जिला प्रशासन ने एक अच्छी पहल की है। जिलाधिकारी ने जिला स्तर पर जिला नशा नाश योजना (डीएनएनवाइ) बनाई है। इस योजना के तहत सड़कों व गलियों में नशा करने वाले अनाथ व बेसहारा बच्चों को चिह्नित किया जाएगा। इसके बाद उन बच्चों का उपचार कराया जाएगा, ताकि उनकी नशे की लत छुड़वाई जा सके। साथ ही समाज कल्याण विभाग की ओर से नशे की लत से ग्रसित बच्चों को रखने के लिए एक अलग आश्रय स्थल बनाया जाएगा। विभाग की ओर से आश्रय स्थल बनाने के लिए शासन को पत्र भेजकर इसकी मांग की जाएगी।
जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने बताया कि अनाथ व बेसहारा बच्चे सड़क किनारे रहते हैं और वह धीरे-धीरे नशे के आदि हो जाते हैं। वह थिनर, सिगरेट, तंबाकू, बीड़ी और ड्रग्स लेने लगते हैं। इससे वह कई भयानक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। कई बार नशा करने वाले बच्चों की मौत तक हो जाती है। ऐसे ही बच्चों को बचाने के लिए जिला स्तर पर डीएनएनवाइ का गठन किया गया है। जोकि नशा व ड्रग्स के आदि बन चुके बच्चों की जिदगी बचाने के लिए काम करेगी। समाज कल्याण विभाग को एक आश्रय स्थल बनाने के लिए आदेशित किया गया है। इसके अलावा शहर में कार्य कर रही एनजीओ से भी इसके लिए सहयोग मांगा जा रहा है। उन्होंने बताया कि वह कई ऐसे परिवारों को जानते हैं, जोकि नशे के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और मासूमों को नशे की लत से दूर कर रहे हैं। इस योजना के तहत ऐसे ही लोगों को तलाशकर उनका एक ग्रुप बनाया जाएगा, जिसका नाम संकल्प रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में नशा मुक्ति केंद्र पहले से चल रहा है, जिसमें एम्स के डॉक्टर आकर इलाज करते हैं। उनकी मदद ली जाएगी। उपचार के माध्यम से नशे की लत को छुड़वाया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा है कि इस योजना को सभी अधिकारी गंभीरता से लें। इसे सफल बनाने के लिए हर 15 दिनों में समीक्षा बैठक की जाएगी।
दवा नहीं बेच पाएंगे लोग
नशा मुक्ति केंद्रों पर डॉक्टर नशा करने वाले लोगों को छह महीने की दवा देते हैं। देखने में आया है कि मरीज इन दवाओं को बाहर जाकर बेच देते हैं और दोबारा से नशे के आदि हो जाते हैं। जिलाधिकारी ने ड्रग्स इंस्पेक्टर को आदेश दिया है कि वह नशे की दवाएं बनाने वाली फर्मों से संपर्क करेंगे और पता लगाएंगे कि उन फर्म ने किस दुकानदार को कितनी दवाएं सप्लाई की गईं। वहीं, नशे की दवाएं गलत तरीके से बेचने वाले मेडिकल स्टोर संचालकों का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। सभी थानेदारों को भी इलाके में नशा बेचने वालों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि डीएनएन योजना के तहत उपचाराधीन मरीज दवा न बेच सके, उसके लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
करेंगे जागरूक
स्कूल निरीक्षक को निर्देशित किया है कि वह हर स्कूल में एक नशा सावधान समिति का गठन करेंगे। इससे नशा करने वाले बच्चों को डांटने की जगह उन्हें इलाज कराने का सुझाव दिया जाएगा। ऐसे बच्चों की काउंसलिग की जाएगी। साथ ही इस दौरान बच्चों से पूछेंगे कि वह नशे की साम्रगी कहां से खरीदते हैं? जिसके बाद वहां उचित कार्रवाई कर पूरा रैकेट का भंडाफोड़ किया जा सके। सड़क किनारे रह कर नशे के आदि होने वाले बच्चों को बचाने के लिए जिला नशा नाश योजना बनाई गई है। इसके तहत एक आश्रय स्थल बनाया जाएगा, जिसमें मासूमों को रखकर उनका उचित इलाज कराया जाएगा। साथ ही सभी थानेदार और ड्रग्स इंस्पेक्टर को भी नशे की अवैध दवाओं व पदार्थ की सप्लाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।
- अजय शंकर पांडेय, जिलाधिकारी।