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जाम से कराहता रहा दिल्ली-मेरठ हाईवे

जागरण संवाददाता मोदीनगर दिल्ली-मेरठ हाईवे पर शनिवार को सप्ताहांत के कारण सुबह से

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 06:26 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 06:26 PM (IST)
जाम से कराहता रहा दिल्ली-मेरठ हाईवे
जाम से कराहता रहा दिल्ली-मेरठ हाईवे

जागरण संवाददाता, मोदीनगर : दिल्ली-मेरठ हाईवे पर शनिवार को सप्ताहांत के कारण सुबह से वाहनों की अधिकता थी। उधर, एनसीआरटीसी द्वारा रैपिड रेल निर्माण कार्य के लिए जगह-जगह निर्माण सामग्री उतारी जा रही थी। इससे दिल्ली-मेरठ हाईवे पर जाम की स्थिति बन गई। मुरादनगर में भी लोगों को रावली रोड से लेकर असालतनगर तक जाम झेलना पड़ा। बेहाल लोगों ने सिस्टम पर सवाल उठाए।

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शनिवार को दिल्ली-मेरठ हाईवे पर पिछले दिनों की अपेक्षा कहीं ज्यादा ट्रैफिक था। इसके बावजूद न तो एनसीआरटीसी और न ही जल निगम ने ऐसा कोई प्रयास किया, जिससे वे निर्माण सामग्री और अन्य कार्यो को पीकआवर में न कराकर वाहनों का दबाव कम होने पर करा लेते। इसी का नतीजा रहा कि हाईवे पर नौ बजते ही भयंकर जाम लग गया। गाजियाबाद से मेरठ की ओर वाहनों की कतारें राज चौपले से लेकर सिखैड़ा रोड के सामने तक, जबकि मेरठ से गाजियाबाद की ओर वाहनों की कतारें मोदी भवन से लेकर गंदे नाले तक पहुंच गई थीं। लोगों को इस जाम से निकलने में एक घंटा वक्त लग गया। पुलिस ने भी यातायात व्यवस्था को सुचारु कराने के लिए खूब पसीना बहाया, लेकिन कोई असर नहीं दिखा। रात करीब आठ बजे के बाद लोगों को जाम से थोड़ी राहत मिली।

उधर, मुरादनगर में रावली रोड के निकट एनसीआरटीसी की क्रेन सड़क किनारे खड़ी थी। इससे गाजियाबाद से मोदीनगर की ओर जाने वाली साइड में केवल एक छोटे वाहन के निकलने की ही जगह बची। हालत यह हो गई कि जाम असालतनगर तक जा पहुंचा। दो मिनट की दूरी तय करने में आधे घंटे से भी ज्यादा वक्त लग गया। जाम में फंसे कुछ लोगों ने तो रावली रोड और गंगनहर पटरी मार्ग से अपने वाहनों को निकाला।

इस बारे में मोदीनगर सीओ सुनील कुमार सिंह का कहना है कि शनिवार को हाईवे पर वाहनों का दबाव अपेक्षाकृत ज्यादा रहता है। इसी से जाम की स्थिति बनती है। उधर, मोदीनगर में जल निगम की लापरवाही से भी जाम की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है। मैनहोल बनाने के लिए निगम जगह-जगह मलबा और निर्माण सामग्री सड़क पर दूर तक फैला दिया जाता है। इससे भी यातायात प्रभावित होता है। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद जल निगम की कार्यशैली में बदलाव नहीं दिख रहा है।


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