गाजियाबाद में नौ देशों के इंजीनियरों को डेटा सुरक्षा पर प्रशिक्षण, सैटेलाइट संचार की चुनौतियों पर हुई चर्चा
गाजियाबाद में नौ देशों के इंजीनियरों को डेटा सुरक्षा पर प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें सैटेलाइट संचार की चुनौतियों पर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य डेटा सुरक्षा के महत्व को समझाना और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था। इंजीनियरों ने डेटा को सुरक्षित रखने के उपायों पर विचार किया।

एलटीटीसी में ट्रेनिंग प्रोग्राम में विदेश से आए इंजीनियर।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर (एएलटीटीसी) में सोमवार को नौ देश के इंजीनियरों को इंटरनेट संबंधित विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। एएलटीटीसी के विशेषज्ञों ने पहले दिन संचार सुरक्षा के साथ सेटेलाइट संचार की आवश्यकता, स्पेक्ट्रम के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन, लाइसेंसिंग, मानिटरिंग तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया।
रविवार देर शाम तक दिल्ली के इंदिरागांधी एयरपोर्ट पर लाओस (लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक), बांग्लादेश, कंबोडिया, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, तुवालु, वियतनाम के इंजीनियर पहुंचे। एएलटीटीसी के अधिकारियों ने उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव किया। सोमवार शाम पांच बजे प्रशिक्षण का शुभारंभ सीजीएल डा. मनीष शुक्ला द्वारा किया गया। इन देशों के इंजीनियरों ने संचार सुरक्षा व्यवस्था को बड़ी चुनौती बताया है।
डेटा सुरक्षा का प्रशिक्षण
एएलटीटीसी के विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि संदेश या डेटा बिना बदले, बिना चुराए और बिना किसी अनधिकृत व्यक्ति के पढ़े, सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना चुनौती बनता जा रहा है। इससे साइबर अपराधियों को मदद मिलती है। हैकर निजी संदेश को पढ़ लेते हैं। डाटा रास्ते में बदल दिया जाता है। इसे किस तरह सुरक्षित किया जाए इसका प्रशिक्षण दिया गया।
संचार करने वाले व्यक्ति या सिस्टम की पहचान सत्यापित करना, हैकिंग और जामिंग जैसी समस्याओं से सुरक्षा, संदेश भेजने वाला यह न कह सके कि उसने संदेश नहीं भेजा, एजेंसियों की जानकारी लीक होने से बचाना, डाटा चोरी, चैट, ईमेल, लोकेशन, बैंक विवरण आदि की सुरक्षा, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, रेलवे संचार, बिजली ग्रिड, रक्षा संचार की सुरक्षा पर इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया गया।
सेटेलाइट संचार की आवश्यकता बढ़ती जा रही है लेकिन इसमें जोखिम भी बहुत है। अपराधी सेटेलाइट फोन का अधिक प्रयोग करते हैं। इसकी सुरक्षा के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

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