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27 साल पहले हत्या के मामले में विवेचना में मिली लापरवाही

बुजुर्ग महिला की हत्या और मारपीट के मामले की घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसटी कोर्ट ने तत्कालीन धौलाना सीओ पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत के जज मलखान सिंह ने गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को साठ दिन में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार 15 जून 1992 की रात धौलाना के डहाना गांव में रेडियो बनाने से इंकार करने पर 11 लोगों ने गांव के दलित समुदाय पर हमला बोल दिया था। इसमें 65 वर्षीय बुजुर्ग चंदनिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जबकि कई लोग गंभीर रोग से घायल हो गए थे। इस मामले में 23 मई को अदालत ने पांच अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि छह आरोपितों की मौत मुकदमा की सुनवाई के दौरान हो गई थी। इस मामले की विवेचना सीओ भूपेंद्र सिंह ने विवेचना की थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 07:44 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 07:44 PM (IST)
27 साल पहले हत्या के मामले में विवेचना में मिली लापरवाही
27 साल पहले हत्या के मामले में विवेचना में मिली लापरवाही

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : बुजुर्ग महिला की हत्या और मारपीट के मामले की घटना में लापरवाही बरतने के आरोप में एसएसटी कोर्ट ने तत्कालीन धौलाना सीओ पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत के जज मलखान सिंह ने गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को साठ दिन में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

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कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, 15 जून 1992 की रात धौलाना के डहाना गांव में रेडियो बनाने से इंकार करने पर 11 लोगों ने गांव के दलित समुदाय पर हमला बोल दिया था। इसमें 65 वर्षीय बुजुर्ग चंदनिया की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जबकि कई लोग गंभीर रोग से घायल हो गए थे। इस मामले में 23 मई को अदालत ने पांच अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि छह आरोपितों की मौत मुकदमा की सुनवाई के दौरान हो गई थी। इस मामले की विवेचना सीओ भूपेंद्र सिंह ने विवेचना की थी।

अदालत ने विवेचना में सीओ की लापरवाही माना

अदालत ने माना है कि तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) भूपेंद्र सिंह ने विवेचना में लापरवाही की। उन्होंने अभियुक्तों के हथियारों की बरामदगी भी नहीं कराई। हथियारों के सत्यापन के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भी नहीं भेजा गया। विवेचक द्वारा उपेक्षित अपने कर्तव्यों की जानबूझकर उपेक्षा की गई है जो इस धारा के तहत अपराध है। विवेचक द्वारा विवेचना में लापरवाही करते हुए अपराध किया गया है।

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