स्वर्णजयंतीपुरम जैसे आवंटन घोटाले रोकने के लिए बनाई कमेटी
स्वर्णजयंतीपुरम जैसे आवंटन घोटालों पर विराम लगाने के लिए जीडीए ने कदम उठाया है। सचिव, ओएसडी, वित्त नियंत्रक, कंप्यूटर विभाग समेत संपत्ति से संबंधित अधिकारियों की कमेटी बनाई है। कमेटी सुझाव देगी कि घोटाले रोकने के लिए किस तरह का पुख्ता व्यवस्था की जाए। इसके लिए सॉफ्टवेयर किस प्रकार डिजाइन कराया जाए।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : स्वर्ण जयंतीपुरम जैसे आवंटन घोटालों पर विराम लगाने के लिए जीडीए ने कदम उठाया है। सचिव, ओएसडी, वित्त नियंत्रक, कंप्यूटर विभाग समेत संपत्ति से संबंधित अधिकारियों की कमेटी बनाई है। कमेटी सुझाव देगी कि घोटाले रोकने के लिए किस तरह का पुख्ता व्यवस्था की जाए। इसके लिए सॉफ्टवेयर किस प्रकार डिजाइन कराया जाए। ताकि, आवंटन निरस्त या रिफंड होने के बाद कोई चुपके से उसकी फाइल दोबारा से प्रक्रिया में न ला सके। अगर, इस प्रकार का कोई वाजिब केस आए तो उपाध्यक्ष की सहमति पर ही फाइल को दोबारा प्रक्रिया में लाया जा सके।
जीडीए की स्वर्ण जयंतीपुरम योजना में प्लॉट आवंटन घोटाला हुआ था। 2005 में हुए आवंटन में घोटाले का पर्दाफाश एक दशक बाद हुआ था। उसमें सामने आया था कि किश्तें समय पर अदा न करने पर 137 प्लॉटों का आवंटन पहले निरस्त कर दिया गया था। बाद वही प्लॉट उन लोगों को दोबारा से बिना किसी प्रक्रिया (नीलामी और स्कीम) को अपनाएं एक फाइल बनाकर दे दिए गए। कुछ लोगों को तो इस खेल में पहले से बड़ा प्लॉट आवंटित कर दिया गया। घोटाले का पर्दाफाश होने पर आइएएस, पीसीएस, इंजीनियर समेत बाबू स्तर के कई कर्मचारी लपेटे में आ गए। इस मामले में कई बाबुओं को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। बाकी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ थाना सिहानी गेट में मुकदमा दर्ज है। पिछले डेढ़ साल से मधुबन-बापूधाम योजना में लोग जमा धनराशि वापस लेकर आवंटन निरस्त करा रहे हैं। यहां भी कुछ आवंटियों के किश्त अदा न करने पर आवंटन निरस्त किए गए हैं। 500 से ज्यादा आवंटन अब तक निरस्त हुए हैं। जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि हर महीने इस तरह के पांच से छह केस विभिन्न योजनाओं के आ रहे हैं। कई ऐसे मामले भी आ रहे हैं कि एक व्यक्ति को कोई फ्लैट आवंटित किया गया, उससे संबंधित किश्त भुगतान की एक पर्ची लेकर कोई दावा करता है। बाबू उसकी एक फाइल बनाकर ले आता है। फिर ये हो रहा है कि अब जिसने दावा किया है। उसे बिना किसी प्रक्रिया के दूसरी जगह फ्लैट दे दिया जाए। इस प्लॉट के रिफंड संबंधी फाइल भी नहीं होती। उन्होंने बताया कि ऐसे में गड़बड़ी होने की आशंका बनी रहती है। इस आशंका को खत्म करने लिए सिस्टम विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। ट्रेजरी के सॉफ्टवेयर की ले सकते हैं मदद
ट्रेजरी में ऐसे घोटाले रोकने के लिए सॉफ्टवेयर उपयोग किया जाता है। जीडीए स्वर्ण जयंतीपुरम जैसे घोटाले रोकने के लिए ट्रेजरी के इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकता है। सिर्फ उसे प्राधिकरण की जरूरत अनुसार परिवर्तित कराया जाएगा। जीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को स्टडी करने के लिए कहा गया है। इसमें भुगतान होने के बाद व्यक्ति संबंधी फाइल पर लाल निशान दिखाता रहता है। जिससे दोबारा भुगतान संभव नहीं। ऐसी ही कोशिश की जा रही है कि एक बार जिस संपत्ति का आवंटन निरस्त हो जाए तो हर पटल पर उस प्रॉपर्टी नंबर के आगे लाल निशान दिखाई देगा। जिससे सबको मालूम रहे कि इसका निस्तारण हो चुका है। फाइल दोबारा से प्रक्रिया में लाना संभव नहीं। वाजिब केस में उपाध्यक्ष की मंजूरी अनिवार्य की जाएगी।
स्वर्ण जयंतीपुरम की तरह किसी योजना में अनियमितता न हो, उसे रोकने के लिए कमेटी बनाई गई है। अभी आवंटन निरस्त होने के बावजूद बाबू एक पर्ची के आधार पर संपत्ति को दोबारा बिना किसी प्रक्रिया के आवंटित करने के लिए फाइल बना लेते हैं। इस प्रक्रिया पर विराम लगाने के लिए सॉफ्टवेयर भी बनवाया जाएगा।
-कंचन वर्मा, उपाध्यक्ष, जीडीए