Move to Jagran APP

डेबिट कार्ड का चिप बदलकर करते थे ठगी, दो गिरफ्तार

जागरण संवाददाता साहिबाबाद स्पेशल टास्क फोर्स ने गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर शुक्रवार श

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 09:44 PM (IST)
डेबिट कार्ड का चिप बदलकर करते थे ठगी, दो गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, साहिबाबाद : स्पेशल टास्क फोर्स ने गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर शुक्रवार शाम को खोड़ा से डेबिट कार्ड में फर्जीवाड़ा कर ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को धर दबोचा। आरोपितों से दस लाख तीस हजार रुपये बरामद हुए हैं। गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में आरोपितों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह का सरगना फरार है। एसटीएफ ने बैंकों को इस नए तरीके के फर्जीवाड़े से अवगत करा दिया है, ताकि इस पर रोकथाम करने का तरीका तैयार किया जा सके।

loksabha election banner

एनसीआर में डेबिट कार्ड से धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को पकड़ने के लिए एसटीएफ सक्रिय हुई। पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर कुलदीप नारायण की टीम को पता चला कि गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में डेबिट कार्डो की डिलीवरी के समय फर्जीवाड़ा करके डेबिट कार्ड तैयार कर ठगी हो रही है। शुक्रवार को ठग गिरोह के सदस्य खोड़ा के गीतांजली विहा कालोनी में मिलने वाले हैं। एसटीएफ की टीम ने गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर शाम करीब साढ़े सात बजे संजय यादव निवासी गीतांजली विहार और हर्ष शर्मा निवासी शाहदरा दिल्ली को दबोच लिया। गिरोह का सरगना कुलदीप यादव नहीं मिला। उसकी तलाश में दबिश दी जा रही है। डिलीवरी से पहले शुरू हो जाता था फर्जीवाड़ा : एसटीएफ की ओर से बताया गया कि गिरफ्तार आरोपित 22 वर्षीय संजय यादव 12वीं पास है। करीब तीन साल पहले वह ब्लूडार्ट कंपनी में कोरियर डिलीवरी करता था। उस दौरान वह गिरोह के सरगना कुलदीप के पते पर तीन-चार बार कोरियर डिलीवरी करने गया। दोनों में मित्रता हो गई थी, तो कुलदीप ने उसको डेबिट कार्ड की चिप निकाल कर फर्जीवाड़ा करने का तरीका बताया और गिरोह में शामिल कर लिया। संजय यादव, कुलदीप को ग्राहक को डेबिट कार्ड डिलीवरी करने से पहले कुछ घंटों के लिए दे देता था। ग्राहक के अकाउंट में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, जो कि कोरियर में पते के साथ लिखा होता था, वो भी देता था। कुलदीप इस रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर का प्रयोग करके बैंक के आटोमेटिक काल रिस्पांस सिस्टम से कार्ड होल्डर के बैंक अकाउंट का बैलेंस जान लेता था। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की ओटीपी नहीं जनरेट होती है। जिसमें पैसा रहता था, उस डेबिट कार्ड का चिप बदल लेता था। संजय बाद में चिप बदले गए कार्ड को डिलीवर कर देता था। डिलीवरी के समय ग्राहक के आधार कार्ड का विवरण ले लेता था। कुलदीप के साथ मिलकर ओरिजनल डेबिट कार्ड के चिप से कूटरचित कार्ड बनाता था। पिन कोड प्राप्त करने के लिए बैंक के आइवीआर का प्रयोग करके इस आटोमेटिक सिस्टम को एटीएम कार्ड का नंबर, एक्सपाइरी डेट, आधार नंबर, जन्म तिथि आदि जानकारी देकर पिन कोड प्राप्त कर लेता था। इस पूरी प्रक्रिया में किसी प्रकार का ओटीपी जनरेट नहीं होता था। इसलिए वास्तविक ग्राहक को इस बात का पता नहीं चल पता था। कुछ समय बाद कूटरचित कार्ड से रुपये निकाल लेते थे। ओरिजनल डेबिट कार्ड ग्राहक के पास रहता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.