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बार एसोसिएशन का फैसला न मानने वाले अधिवक्ताओं को नोटिस

बृहस्पतिवार को न्यायिक कार्य न करने के फैसले को न मानने वाले अधिवक्ताओं को गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने नोटिस जारी किया है। इसमें इन सभी से एसोसिएशन ने पूछा है कि आप सभी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सदस्यता रद करते हुए आवंटित चैंबर निरस्त क्यों न किए जाएं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 09:20 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 09:20 PM (IST)
बार एसोसिएशन का फैसला न मानने वाले अधिवक्ताओं को नोटिस

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : बृहस्पतिवार को न्यायिक कार्य न करने के फैसले को न मानने वाले अधिवक्ताओं को गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने नोटिस जारी किया है। इसमें इन सभी से एसोसिएशन ने पूछा है कि आप सभी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए सदस्यता रद करते हुए आवंटित चैंबर निरस्त क्यों न किए जाएं।

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गाजियाबाद बार एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल पंडित व सचिव विश्वास त्यागी ने बताया कि बृहस्पतिवार को विभिन्न संगठनों द्वारा भारत बंद का आह्वान किए जाने के चलते न्यायालय आने में वादकारियों व अधिवक्ताओं को परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके चलते एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर बृहस्पतिवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया था। इस प्रस्ताव में किसी भी आंदोलन का समर्थन नहीं किया गया था। सिर्फ वादकारियों व अधिवक्ताओं को परेशान होने के बचाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया था।

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- इन सात अधिवक्ताओं को दिया गया नोटिस -

बार अध्यक्ष व सचिव ने बताया कि अधिवक्ता रविकरण गौतम, रतन ¨सह, रामजीलाल, जयवीर ¨सह, वेदप्रकाश केन, मनोज नागवंशी व विनोद कुमार वर्मा ने बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को नहीं माना। यह सब लोग एकत्र होकर जिला जज गिरजेश कुमार पांडेय से मिले और एसोसिएशन के न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव का विरोध किया। इन सभी ने विभिन्न न्यायालयों में जाकर जबरन काम किया व दूसरे अधिवक्ताओं को भी ऐसा करने के लिए उकसाया। इसी के चलते उपरोक्त सभी को नोटिस जारी किया गया है।

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- रद की जा सकती है सदस्यता -

बार अध्यक्ष अनिल पंडित व सचिव विश्वास त्यागी ने बताया कि एसोसिएशन का फैसला न मानना घोर अनुशासनहीनता है। 10 सितंबर तक उक्त अधिवक्ताओं के जवाब का इंतजार किया जाएगा। इसके बाद बार एसोसिएशन कड़ा फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। मामले से यूपी बार काउंसिल को अवगत कराया जाएगा। जवाब से संतुष्ट न होने पर उक्त अधिवक्ताओं को सदस्यता रद कराई जाएगी। साथ में आवंटित चैंबर भी निरस्त कराए जाएंगे।

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- न्याय संगत नहीं था न्यायिक कार्य से विरत रहना -

ऑल इंडिया डॉक्टर आंबेडकर एडवोकेट काउंसिल के बैनर तले बृहस्पतिवार को काम करने वाले अधिवक्ताओं ने कहा कि बृहस्पतिवार को न्यायिक कार्य से विरत रहना न्याय संगत नहीं था। काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रतन ¨सह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि काफी संख्या में न्यायालय में आने वाले वादकारियों को बिना कार्य हुए वापस लौटना पड़ रहा था। इसी के चलते उपरोक्त काउंसिल के बैनर तले एससी/एसटी अधिवक्ताओं को प्रतिनिधिमंडल जिला जज से मिला और विधिक कार्रवाई करने की बात कही।


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