आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड बनाने में पिछड़ा जिला
जागरण संवाददाता गाजियाबाद प्रधानमंत्री द्वारा गरीब बीमार एवं जरूरतमंद लोगों के लिए शुरू की ग
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: प्रधानमंत्री द्वारा गरीब, बीमार एवं जरूरतमंद लोगों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत लक्ष्य के सापेक्ष गोल्डन कार्ड बनाने में जिला पिछड़ गया है। दो साल बाद भी 50 फीसद लोगों के भी कार्ड नहीं बन पाए हैं। जिले में केवल 15 फीसद लाभार्थियों के ही कार्ड बने हैं। शासन स्तर पर हुई समीक्षा के बाद स्वास्थ्य विभाग के कई अफसरों से गोल्डन कार्ड बनाने के कार्य को गंभीरता से न लेने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इनमें तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी और तीन जिला स्तरीय अस्पतालों के सीएमएस भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 7,40,395 लाभार्थियों के सापेक्ष केवल 1,17,851 के ही कार्ड बनाए गए है। सरकारी और निजी अस्पतालों में लगाए जाने वाले शिविरों में कभी बिजली गुल रहती है तो कभी सर्वर डाउन बताकर लोगों को टरका दिया जाता है।
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गोल्डन कार्ड से होता है पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा
गोल्डन कार्ड बनने के साथ ही पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा हो जाता है। इस कार्ड को दिखाकर पांच लाख तक का उपचार संभव है। जिले के चार सरकारी एवं 29 निजी अस्पतालों में कार्ड धारक का निश्शुल्क उपचार होता है। विगत एक साल में 5,924 में से 5,142 ने निजी और 782 ने सरकारी अस्पतालों में उपचार कराया है। 55 अस्पतालों में निश्शुल्क कार्ड बनाए जा रहे हैं। जन सुविधा केंद्र पर कार्ड बनवाने के लिए तीस रुपये शुल्क देय है।
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आयुष्मान योजना का विवरण
कुल लाभार्थी परिवारों की संख्या-1,48,079
कुल लाभार्थियों की संख्या- 7,40,395
अब तक बनाए गए गोल्डन कार्ड- 1,17,851
परिवारों में एक सदस्य का बना गोल्डन कार्ड- 37,249
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डोर टू डोर सूची में दर्ज नाम एवं घरों को तलाश करने पर भी 70 फीसद लोगों का सही ठिकाना नहीं मिल रहा है। संभावना है कि जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक बनाई गई सूची में शामिल उक्त लोग जनपद छोड़कर चले गए हैं। इस संबंध में शासन के साथ ही केंद्र सरकार को पत्राचार किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में लक्ष्य के सापेक्ष 50 फीसद लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं। शहरी क्षेत्रों में लोगों को ट्रेस करने का प्रयास जारी है। तीन सीएचसी प्रभारी और तीन सीएमएस से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
-डॉ. एनके गुप्ता, सीएमओ