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चाचा के इशारे पर भाइयों ने की थी लाखन की हत्या

संवाद सहयोगी मोदीनगर भोजपुर थानाक्षेत्र के गांव कनकपुर में 18 अप्रैल को हुए लाखन हत्याकां

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 08:56 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 08:56 PM (IST)
चाचा के इशारे पर भाइयों ने की थी लाखन की हत्या
चाचा के इशारे पर भाइयों ने की थी लाखन की हत्या

संवाद सहयोगी, मोदीनगर :

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भोजपुर थानाक्षेत्र के गांव कनकपुर में 18 अप्रैल को हुए लाखन हत्याकांड का पुलिस ने गुरुवार देर शाम पर्दाफाश कर दिया। चाचा बलराम उर्फ बंटी के इशारे पर लाखन के दोनों सगे भाइयों ने ही मिलकर उसकी हत्या की थी। इसके लिए बंटी ने दोनों भाइयों को पचास हजार रुपये भी दिए थे। पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि, चाचा अभी फरार है। बंटी शुरू से ही पुलिस को गुमराह कर रहा था। लेकिन, पुलिस की जांच में सारी स्थिति स्पष्ट हो गई।

एसपी देहात डॉ. इरज राजा ने बताया कि बंटी वार्ड दो से जिला पंचायत सदस्य का प्रत्याशी था। लेकिन, चुनाव में लाखन ने उसके विपक्षियों का समर्थन किया। चुनाव में लाखन ने बंटी को वोट भी नहीं दिया। बस इसी से बंटी लाखन से दुश्मनी रखने लगा। लाखन को रास्ते से हटाने के लिए बंटी ने ही पूरे हत्याकांड की पटकथा लिखी। बंटी ने पहले लाखन के दोनों भाई लोकेश व सुखपाल को अपने विश्वास में लिया। उन्हें रुपयों का लोभ देकर हत्या करने की साजिश रची। इसके चलते 18 अप्रैल को दोनों भाई लाखन को शराब पिलाने के बहाने बंद पड़े एक मकान में ले गए। वहां पहले से उन्होंने रस्सी व आरी का इंतजाम किया हुआ था। वहां पहले उन्होंने लाखन को शराब पिलाई, फिर रस्सी से पैर बांधकर गला आरी से उसका रेत दिया। जब लाखन की मौत हो गई, तो दोनों वहां से भाग निकले। एसपी देहात ने बताया कि कमरे से लोकेश के खून से सने पैर के निशान भी मिले हैं। उनके कपड़ों पर भी खून लगा था, जिन्हें कब्जे में लेकर फारेंसिक टीम ने जांच की थी। पर्याप्त साक्ष्य जुटाकर ही आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है।

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पुलिस को पहले से था बंटी पर शक

पुलिस शुरू से ही मामले को बंटी से जोड़कर देख रही थी। पुलिस ने अनुसार, बंटी ने कई बार अपने बयान बदले। इतना ही नहीं, जब रिपोर्ट दर्ज कराई गई तो बंटी ने पुलिस को बताया कि वह उस दिन गांव में ही था। उसके सामने ही आरोपित लाखन को अपने साथ लेकर गए। जबकि, पुलिस जांच में सामने आया है कि बंटी उस दिन गांव में था ही नहीं। ऐसे में पुलिस का शक बढ़ा और पड़ताल करते हुए मुख्य आरोपितों तक पहुंच गई।

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हत्या को चुनावी रंजिश का रूप देना चाहता था बंटी

हत्याकांड को चुनावी रंजिश का रूप देने का बंटी ने कोई मौका नहीं छोड़ा। अपने सामने चुनाव लड़ रहे विपक्षियों को ही उसने हत्याकांड में नामजद करा दिया। इतना ही नहीं, अधिकारियों के सामने जाकर विपक्षियों को ही जल्द से जल्द पकड़वाने की मांग करता रहा। थाने पर भी उनकी गिरफ्तारी के लिए हंगामा किया। लेकिन, अब मामला खुला तो साफ हो गया कि जो मामले की पैरवी में सबसे आगे थे। वे ही मुख्य आरोपित थे।


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