आशाओं ने काम बंद किया, अधिकारियों का बढ़ा तनाव
जागरण संवाददाता गाजियाबाद जिले के शहरी और देहात क्षेत्रों में कार्यरत आशा कार्यकत्रियों ने शुक्रवार से विभिन्न मांगों को लेकर काम करना बंद कर दिया है। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तनाव बढ़ गया है। शहरी क्षेत्र में 284 के सापेक्ष 210 आशा काम करती हैं। देहात क्षेत्रों में 654 आशा कार्यरत है। 19 अक्टूबर से शुरू हुए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में अधिकांश आशाओं की ही ड्यूटी लगाई गई है। इससे अभियान बीच में ही अटक गया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद: जिले के शहरी और देहात क्षेत्रों में कार्यरत आशा कार्यकत्रियों ने शुक्रवार से विभिन्न मांगों को लेकर काम करना बंद कर दिया है। इससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तनाव बढ़ गया है। शहरी क्षेत्र में 284 के सापेक्ष 210 आशा काम करती हैं। देहात क्षेत्रों में 654 आशा कार्यरत है। 19 अक्टूबर से शुरू हुए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में अधिकांश आशाओं की ही ड्यूटी लगाई गई है। इससे अभियान बीच में ही अटक गया है।
बताया गया कि बीते दो दिन से आशाएं यूपीएचसी, पीएचसी और सीएचसी के दायरे में आने वाले घरों में सर्वे नहीं कर रही हैं। 26 अक्टूबर को प्रदेश स्तर पर आशाओं का लखनऊ में विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन भी प्रस्तावित है। इसी को लेकर आशाएं संगठित हो रहीं हैं। लोहिया नगर में कार्यरत आशा कार्यकत्री सुनीता ने बताया कि वेतन बढ़ाए जाने, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की तरह स्थायी करने और अलग-अलग ड्यूटी के हिसाब से मानदेय दिए जाने संबंधी कई मांगों को लेकर आशा कार्यकत्रियों ने काम बंद किया है। उनका आरोप है कि जिला स्तर पर मानदेय समय से नहीं दिया जाता है। जिला सर्विलांस अधिकारी डा.आरके गुप्ता ने बताया कि विजयनगर, घूकना, करहैडा, कैला भट्टा, कड़कड़ और शास्त्रीनगर क्षेत्र में जाकर आशाओं को काम पर वापस लौटने के लिए मनाया गया है। कुछ काम पर लौट आईं हैं, तो कुछ ने इन्कार कर दिया है। सीएमओ के निर्देश पर तीन एसीएमओ द्वारा देहात और शहरी क्षेत्रों में आशाओं को काम पर लौटने को मनाने का प्रयास किया जा रहा है।