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..और वक्त के साथ बदलते चले गए चुनाव प्रचार के तौर-तरीके

शाहनवाज अली गाजियाबाद दौर बदला तो चुनाव प्रचार के तौर-तरीके भी बदलते चले गए। कभी दर-दर

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 09:56 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 09:56 PM (IST)
..और वक्त के साथ बदलते चले गए चुनाव प्रचार के तौर-तरीके
..और वक्त के साथ बदलते चले गए चुनाव प्रचार के तौर-तरीके

शाहनवाज अली, गाजियाबाद

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दौर बदला तो चुनाव प्रचार के तौर-तरीके भी बदलते चले गए। कभी दर-दर टोलियां तो कभी भोंपू को साइकिल और रिक्शा पर बांधकर शहर व गांव की गलियों में प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया जाता था। वक्त बदला और इस बार संक्रमणकाल में तमाम प्रचार माध्यमों के बीच अधिक मजबूती से डिजिटल प्रचार ने अन्य माध्यमों को पीछे छोड़ दिया। आयोग की सख्ती से रैली पर पाबंदी लगी तो टोलियों को अनुमति मिली, जिसे देख पुराना जमाना याद आने लगा है।

दौर के साथ प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार का तौर-तरीका भी बदला है। कभी पंचायत और चौक-चौराहे पर बैठकर प्रत्याशियों को हाथ उठाकर समर्थन देने का प्रचलन आम हुआ करता था। इसके बाद प्रत्याशी अपनी पार्टी की नीतियां लेकर टोलियों के साथ शहर से गांव-दर गांव तक जाना शुरू हुए। मतदाताओं को इकट्ठा कर अपनी बातें रखीं। प्रचार माध्यमों में ब्लैक एंड व्हाइट पंफलेट, दीवारों पर कच्ची लिखाई से नारे, कपड़े के बैनर पर स्याही से लिखा पार्टी और प्रत्याशी का नाम हुआ करता था। बिल्ले भी बड़ी मात्रा में बांटे जाते थे, जिनका बच्चों में खूब क्रेज होता था। वह अपनी शर्ट पर लगाकर घूमते थे। एक-एक बच्चा बिल्ला मिलने पर अलग-अलग पार्टियों के बिल्ले एक साथ लगा लेता था। उसे किसी पार्टी से कोई मतलब नहीं होता था। बस यही इच्छा रहती थी कि अन्य बच्चों से ज्यादा उसे बिल्ले मिल जाएं। वक्त फिर बदला और फ्लैक्स बोर्ड, होर्डिंग और रंगीन पोस्टर, हैंडबिल ने इसकी जगह ली। चुनाव प्रचार का तरीका अब पूरी तरह बदल गया है। यह युग डिजिटल का है। हर मुट्ठी में स्मार्टफोन है, हर कोई इंटरनेट मीडिया से जुड़ा है। चुनावी मौसम में कोरोना संक्रमण के बढ़े मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने रैली ओर सभाओं पर रोक लगा दी। ऐसे में इंटरनेट मीडिया पर हर पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं की टीमें अपनी बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में लगी हैं।

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करीब तीन दशक से प्रचार सामग्री का कार्य कर रहे हैं। इस बार प्रचार के लिए अधिक कुछ नहीं है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार आयोग की सख्ती के बाद काम में कमी आई है। अब डिजिटल प्रचार का जमाना आ गया है। लोग अपने प्रचार के लिए वीडियो बनवाकर इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर काम पूरा कर रहे हैं।

- विजय वर्मा, संचालक प्रचार सामग्री


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