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नेहरू स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में सर्वदलीय प्रदर्शन

शहर के नेहरूनगर स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में सभी दलों ने स्थानीय लोगों व खिलाड़ियों के साथ मिलकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उन्होंने जीडीए को अपना निर्णय वापस वापस लेने की मांग की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 09:31 PM (IST)
नेहरू स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में सर्वदलीय प्रदर्शन
नेहरू स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में सर्वदलीय प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : शहर के नेहरूनगर स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को निजी हाथों में सौंपने के विरोध में सभी दलों ने स्थानीय लोगों व खिलाड़ियों के साथ मिलकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उन्होंने जीडीए को अपना निर्णय वापस वापस लेने की मांग की।

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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने नेहरूनगर में जेएलएन स्टेडियम का निर्माण कराया, जिसमें स्थानीय लोग सुबह व शाम को सैर के अलावा काफी संख्या में खिलाड़ी यहां विभिन्न खेलों की प्रेक्टिस के लिए आते हैं। निजी कंपनी को स्टेडियम को ठेका दिये जाने की खबर मिलते ही जीडीए के इस निर्णय के विरोध में सभी दल एक मंच पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उन्होंने जीडीए को अपना निर्णय वापस लेने की मांग की है। इसी क्रम में बुधवार को सभी दलों ने मिलकर स्टेडियम गेट पर स्थानीय लोगों व खिलाड़ियों के साथ धरना प्रदर्शन शुरू किया। वक्ताओं ने कहा कि स्टेडियम में मूलभूत सुविधाएं देना जीडीए की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। उन्होंने जीडीए को अपना फैसला वापस लेने की मांग की। इस मौके पर कांग्रेस के पवन शर्मा, रालोद के इंद्रजीत ¨सह टीटू, बालेश्वर त्यागी, सुरेन्द्र कुमार मुन्नी, अशोक चावला, रामानंद गोयल, वीर ¨सह चौधरी, बबली नागर, हरीश चौधरी आदि ने विचार व्यक्त किये।

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रखरखाव करेगी संस्था, फीस निर्धारण का अधिकार नहीं

वीसीजीडीए वीसी कंचन वर्मा ने कहा कि नेहरू स्टेडियम को लीज पर देने का विरोध सही नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस संस्था को यह लीज पर दिया जा रहा है, वह केवल स्टेडियम का रखरखाव करेगा। फीस तय करने का अधिकारी संस्था को नहीं है। जीडीए द्वारा निर्धारित फीस ही खिलाड़ियों से ली जाएगी। स्टेडियम में प्रवेश देने संबंधी अधिकारी भी संस्था को नहीं दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस स्टेडियम के रखरखाव पर सालाना 30 लाख रुपये खर्च हो रहा था। उस पर कई कर्मचारियों को यहां ड्यूटी पर लगाना पड़ता था। फिर भी प्रोफेशन तरीके से रखरखाव नहीं हो पा रहा था। संस्था प्रोफेशनल तरीके से रखरखाव करेगी। लागत निकालने के लिए उसे दो क्योस्क और एक दुकान की जा रही है।


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