23 साल के युवा संवैधानिक अधिकार को लेकर कर रहे हैं समाज को जागरूक
जागरण संवाददाता गाजियाबाद कानून और संवैधानिक अधिकारों से जुड़ीं किताबें पढ़ते-पढ़ते ल
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : कानून और संवैधानिक अधिकारों से जुड़ीं किताबें पढ़ते-पढ़ते लोगों की उम्र निकल जाती है लेकिन शहर के 23 वर्षीय युवा कानून की पढ़ाई करते-करते समाज ही नहीं सरकारों को संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरूक कर रहे हैं। कानून की ड्राफ्टिग भी कर रहे है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार की क्राइम फ्री भारत योजना के तहत कानून बनाने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष हैं। इस नेशनल मिशन को मध्यप्रदेश के डीजीपी मैथिली शरण गुप्त द्वारा की जा रही है। उनका कहना है कि संवैधानिक योगदान और न्यायपालिका के जरिये सामाजिक समस्याओं में सुधार लाने के लिए कोई भी व्यक्ति मुहिम चला सकता है, इसके लिए जरूरी नहीं है कि वह राजनेता या प्रशासनिक अधिकारी ही हो। भारतीय संविधान और भारतीय दंड प्रक्रिया समस्त नागरिकों को यह अधिकार देती है कि वह कानूनी मंशानुसार सुधार लाने का प्रयत्न कर सकते हैं। मध्यप्रदेश में कुछ महीनों पहले तक यह कानून था कि महिलाओं को हेलमेट पहनना जरूरी नहीं है और उनका कोई भी चालान नहीं काट सकता है। संवैधानिक ²ष्टिकोण से यह कानून अनुच्छेद 14, 15(1) और 21 का सिरे से अवेहलना करता है। हिमांशु ने इस कानून की संवैधानिकता को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी और सफल रहे। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग द्वारा एक अनोखी पहल 'क्राइम फ्री भारत', में हिमांशु कार्य कर रहे है। 'क्राइम फ्री भारत', जोकि भारत सरकार के नेशनल मिशन का एक अहम हिस्सा भी है। मुहिम की अगुवाई मध्यप्रदेश के डीजीपी (पुलिस रिफार्म) मैथिलि शरण गुप्त द्वारा की जा रही है। इसमें जांच और अपराध की रोकथाम के लिए कई प्रकार के नए आयाम डाले जा रहे हैं ताकि पुलिस अन्वेषण (जांच) प्रक्रिया में आने वाले दवाब, खामियां और बाधाओं को दूर किया जा सके। इस मुहिम को साकार करने के लिए और इसको जमीनी स्तर पर लाने के लिए जिस कानून की आवश्यकता है, उस कानून का निर्माण हिमांशु दीक्षित की अध्यक्ष्ता में गठित टीम द्वारा किया जा रहा है। इस कानून का एक ड्राफ्ट मध्यप्रदेश पुलिस को सौंपा भी जा चुका है। हिमांशु दीक्षित इस मुहिम को आम-जनमानस तक पहुंचाने के लिए समय-समय पर मध्यप्रदेश डीजीपी (पुलिस रिफार्म) के साथ यूट्यूब के जरिये वेबिनार आयोजित भी करवाते रहते है। हिमांशु का मानना है कि यदि केंद्र सरकार इस कानूनी ड्राफ्ट को पारित करती है तो क्राइम फ्री इंडिया के सपने को साकार होने में देर नहीं लगेगी। लॉकडाउन लगने के शुरुआती दिनों में जब प्रवासी मजदूरों का पलायन एक राज्य से दूसरे राज्य में हो रहा था जिसमे कई मजदूरों की जाने भी गई थी। उस समय हिमांशु ने भारतीय यूथ अवार्डी और महाराष्ट्र के प्रसिद्ध एनजीओ के प्रेजिडेंट योगेश दुबे संग मिलकर केंद्र और राज्य शासनों समेत 'राष्ट्रीय मानवाधिकार' को अनेकानेक लेटर पेटिशन दर्ज करा कर पीड़ित लोगों को राहत दिलवाई। समाज के अन्य तबकों के लोग जैसे डॉक्टर, दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर आदि के भी लॉकडाउन के चलते उनके हनन हुए अधिकारों के सन्दर्भ में लेटर पेटिशन शासन व राष्ट्रीय मानवाधिकार को दर्ज कराई। सोशल मीडिया में भड़काऊ भाषण के जरिये दंगों-फसादों को रोकने के लिए क्या कार्य पुलिस को करना चाहिए और कानून में क्या बदलाव लाने चाहिए,इन पर हिमांशु दीक्षित ने आईपीएस आकाश कुलहरि के साथ मिलकर एक शोधपत्र लिखा और गृह मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत कर भारत सरकार को अपने सुझाव भी दिए। पिछले वर्ष केंद्र सरकार द्वारा आयोजित हुई 'गा•िायाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिलास्तरीय डिबेट कंपीटीशन 2019' में भी हिमांशु ने चतुर्थ स्थान हासिल किया था। हिमांशु दीक्षित ने लेखन में भी 10 से अधिक आर्टिकल्स और रिसर्च पेपर अपने नाम दर्ज करा रखे हैं।