अबकी सियासी सूरमाओं पर नहीं रीझे मतदाता
54 फीसद पर ही ठहर गई मतदान एक्सप्रेस नहीं निकले मतदाता पिछले चार चुनावों से फर्स्ट डिवीजन में पास हो रहे थे वोटर।
डा. राहुल सिघई, फीरोजाबाद: एक घंटे का ज्यादा समय था और कोरोना से बचाव के पूरे इंतजाम। मौसम भी अनुकूल था और सियासी दस्तूर भी। हर चुनावों में सबसे ज्यादा मतदान का रिकार्ड बनाने वाली टूंडला विस में अबकी बार सियासी सूरमा मतदाताओं को नहीं रिझा पाए। मतदाता घर से निकलने से परहेज करते रहे और मतदान एक्सप्रेस 54 फीसद पर ही ठहर गई।
टूंडला विस में उपचुनाव से पहले ही सियासी सूरमा मैदान में उतर गए थे। 21 साल बाद जीती सीट पर भाजपा ने कब्जा करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। सीएम से लेकर दोनों डिप्टी सीएम और केंद्रीय मंत्रियों से लेकर जातिगत आंकड़े बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संगठन की बैठकें लगातार चलीं और वोटरों को घर से निकलवाने का बार-बार पाठ पढ़ाया गया। कोरोना काल में रैलियों के आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। वहीं बसपा और सपा डोर टू डोर कैंपेनिंग में लगी रही। जातीय समीकरणों को अंदर खाने साधा गया। वोटर हां में हां मिलाते रहे और जब फैसला सुनाने की बारी आई, तब तक मतदाताओं ने मूड बदल दिया। मंगलवार को सुबह से धीमा मतदान था जिसके जोर पकड़ने की उम्मीद सियासी सूरमा बांधे रहे, लेकिन तेजी आ ही नहीं पाई। मतदान का आंकड़ा कम रहने के बाद अब परिणाम के नए समीकरण नजर आ रहे हैं।
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गांवों में भी छाए रहे मुद्दे और सरकार की योजना
हाईवे से लगभग एक किमी अंदर बसे गांव जाफरगढ़ी में वोट डालकर लौट रहीं 60 साल की मायादेवी से वोट डालने की पूछने पर तपाक से जवाब मिला आलू 40 को मिल रओ, महंगाई का खाए जा रई। इतना कहना था कि साथ चल रही 67 साल की जलदेवी बोली ए चुप रै री, खातन में पैसो तो आयो। ऐसे ही संवाद नारखी के गढ़ी हंसराम गांव में सुनने को मिले। शिमला मिर्च की पैकिग कर रहीं शशि देवी का कहना है कि कोरोना में खाने को इंतजाम तो करो, कम से भूखे तो न रए। हमन तो सुबह ही वोट डाल आए।
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10 हजार से ज्यादा बढ़ गए मतदाता
2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद टूंडला विस में 10,919 मतदाता बढ़ गए। 2017 में जहां 3,49,525 मतदाता थे, वहीं अबकी चुनाव में 360444 मतदाता हो गए थे। पुरुष जहां 34 सौ बढ़े, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या में 7 हजार से ज्यादा बढोतरी हुई।
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कोविड संदिग्धों ने नहीं किया मतदान
कोरोना को देखते हुए इस बार कोविड के संदिग्ध मतदाताओं के लिए शाम पांच बजे से छह बजे तक का वक्त तय था। उनके लिए पीपीई किट की व्यवस्था भी थी, लेकिन कोई संदिग्ध वोट डालने नहीं पहुंचा। पिछले चुनावों के मतदान के आंकड़े
लोस 2019: 64.29 फीसद
विस 2017: 69.62 फीसद
लोस 2014: 69.00 फीसद
विस 2012: 63.52 फीसद
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